Kamika Ekadashi 2023 Vrat Katha: आज जरूर करें कामिका एकादशी व्रत कथा का पाठ, मिट जाएंगे सभी पाप
Kamika Ekadashi 2023 धार्मिक मान्यता है कि कामिका एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति द्वारा अनजाने में किए हुए सारे पाप कट जाते हैं। साथ ही पृथ्वी दान और गौदान समतुल्य फल की प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धाभाव से कामिका एकादशी पर श्रीनारायण हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना करते हैं। आज संध्या आरती के समय कामिका एकादशी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Kamika Ekadashi 2023 Vrat Katha: हर वर्ष सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस प्रकार, आज कामिका एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन साधक जगत के पालनहार भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रख विधि विधान से लक्ष्मी नारायण की पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि कामिका एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति द्वारा अनजाने में किए हुए सारे पाप कट जाते हैं। साथ ही पृथ्वी दान और गौदान समतुल्य फल की प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धाभाव से कामिका एकादशी पर श्रीनारायण हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी अनजाने में किए हुए पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो आज संध्या आरती के समय कामिका एकादशी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। आइए, कामिका एकादशी व्रत कथा का पाठ करें-
कामिका एकादशी व्रत कथा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कालांतर में किसी गांव में एक बेहद बलशाली क्षत्रिय रहता था। उसे अपने बल पर बेहद अहंकार का भाव था। हालांकि, वह धर्म परायण था। नित प्रतिदिन जगत के पालनहार विष्णु की पूजा उपासना करता था। एक दिन वह किसी विशेष कार्य हेतु कहीं जा रहा था। मार्ग में उसकी भिंड़त एक ब्राह्मण से हो गई। उस समय वह आवेग में आ गया। ब्राह्मण व्यक्ति उसे कुछ समझाता। उससे पूर्व ही वह ब्राह्मण से हाथापाई करने लगा। ब्राह्मण बेहद दुर्बल था। वह बलशाली क्षत्रिय के प्रहार को सहन न कर पाया। इसके चलते तत्काल ही उसकी मृत्यु हो गई। उस समय बलशाली क्षत्रिय सकते में आ गया। वह प्रायश्चित करने लगा। उसे अपनी गलती का अहसास हुआ कि उसने बल के दम पर निर्बल ब्राह्मण की हत्या कर दी। आवेग में आकर ब्राह्मण व्यक्ति की हत्या करने से वह बेहद दुखी था।
यह सूचना पूरे गांव में आग की तरह फैल गई। क्षत्रिय व्यक्ति ने गांव वाले से क्षमा याचना की। साथ ही ब्राह्मण का अंतिम संस्कार विधि विधान से करने करने का वचन दिया। हालांकि, पंडितों ने अंतिम क्रिया में शामिल होने से इंकार कर दिया। उस समय क्षत्रिय ने क्षमा याचना कर फल जानना चाहा। तब पंडितों ने कहा कि 'ब्रह्म हत्या दोष' का प्रायश्चित करने के पश्चात हमलोग आपके गृह पर भोजन ग्रहण करेंगे। यह सुन क्षत्रिय ने 'ब्रह्म हत्या दोष' प्रायश्चित करने का उपाय पूछा। पंडितों ने कहा कि सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विधि विधान से जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा उपासना करें। साथ ही ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दक्षिणा दें। ऐसा करने से आप 'ब्रह्म हत्या दोष' से मुक्त हो जाएंगे। कालांतर में क्षत्रिय ने ब्राह्मण व्यक्ति का दाह संस्कार किया।
ब्राह्मणों के वचनानुसार, सावन मास के कामिका एकादशी तिथि पर क्षत्रिय ने विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा-उपासना की। साथ ही ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दक्षिणा दिया। उसी रात क्षत्रिय के सपने में भगवान विष्णु आकर बोले-तुम्हारी भक्ति से मैं प्रसन्न हूं। आज के दिन विधि विधान से तुमने मेरी पूजा की। इस व्रत के पुण्य प्रताप से तुम्हे ब्रह्म हत्या दोष से मुक्ति मिल गई है। कालांतर से कामिका एकादशी का व्रत रखा जाता है।
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