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    Gangaur Vrat Katha: इस दिन पूजा करते समय जरूर पढ़ें गणगौर की यह व्रत कथा

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Thu, 15 Apr 2021 10:03 AM (IST)

    Gangaur Vrat 2021 आइए पढ़ते हैं गणगौर की व्रत कथा। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार शंकर जी पार्वती जी और नारद जी भ्रमण हेतु चल दिए। वह तीनों चलते-चलते एक गांव में पहुंचे। यह दिन चैत्र शुक्ल तृतीया का था।

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    Gangaur Vrat Katha: इस दिन पूजा करते समय जरूर पढ़ें गणगौर की यह व्रत कथा

    Gangaur Vrat 2021: पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार शंकर जी, पार्वती जी और नारद जी भ्रमण हेतु चल दिए। वह तीनों चलते-चलते एक गांव में पहुंचे। यह दिन चैत्र शुक्ल तृतीया का था। जब ग्रामवासियों को इस बात का पता चला तो निर्धन स्त्रियां उनके स्वागत के लिए थालियों में हल्दी व अक्षत लेकर पहुंच गई हैं पूजन करने लगीं। पार्वती जी ने उनके पूजा भाव को समझा और उन पर सुहाग रस छिड़क दिया। वे अटल सुहाग प्राप्त कर लौटी।

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    इसके बाद कुछ धनी स्त्रियां कई तरह के पकवान, सोने चांदी के थाल में सजाकर पूजन के लिए पहुंची। तब शंकर जी ने माता पार्वती से पूछा कि सारा सुहाग रस तो निर्धन स्त्रियों को दे दिया। अब इन्हें क्या मिलेगा। इस पर पार्वती जी ने कहा, हे प्राणनाथ! उन स्त्रियों को ऊपरी पदार्थों से निर्मित रस दिया गया है।

    इनका सुहाग धोती से रहेगा लेकिन इन धनी स्त्रियों को अपनी अंगुली चीरकर रक्त का सुहाग रख दूंगी। ऐसा करने से धनी स्त्रियां मेरे समान ही सौभाग्यवती हो जाएंगी। जब इन स्त्रियों ने शिव पार्वती पूजन समाप्त की तब पार्वती जी ने अपनी अंगुली चीर कर उसके रक्त को उनके ऊपर छिड़क दिया। जिस पर जैसी छींट गिरी उसे वैस ही सुहाग पाया।

    तब माता पार्वती ने कहा कि तुम सब वस्त्र आभूषणों का परित्याग करें। सभी माया मोह से रहित हो जाओ। तन, मन, धन से पति की सेवा करो। ऐसा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगी। इसके बाद शंकर जी से आज्ञा लेकर माता पार्वती नदी में स्नान करने चली गईं। फिर स्नान करने के बाद बालू की शिव जी की मूर्ति बनाई और उसका पूजन किया। साथ ही भोग भी लगाया और प्रदक्षिणा की। फिर दो कणों का प्रसाद ग्रहण किया और अपने माथे पर तिलक लगाया। पूजन के दौरान उस पार्थिव लिंग से शिवजी प्रकट हुए। फिर उन्होंने पार्वती को वरदान दिया। उन्होंने कहा कि आज के दिन जो भी स्त्री मेरा विधि-विधान से पूजन करेगी और तुम्हारा व्रत करेगी उसका पति चिरंजीवी रहेगा। ऐसा करने वाली महिला को मोक्ष की प्राप्ति होगी। माता पार्वती को यह वरदान देकर शिवजी अंतर्धान हो गए। तब से ही चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। 

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'