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    Rang Panchami 2025: रंग पंचमी की पूजा में करें जरूर करें ये आरती, बरसेगी मुरली वाले की कृपा

    Updated: Wed, 19 Mar 2025 07:00 AM (IST)

    होली के बाद बेहद उत्साह के साथ रंग पंचमी (Rang Panchami 2025) मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस पर्व को प्राचीन काल से मनाया जा रहा है। इस दिन देश के कई राज्यों में खास उत्साह देखने को मिलता है जैसे- मध्य प्रदेश गुजरात उत्तर प्रदेश और राजस्थान आदि। इस दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा-अर्चना करने का विधान है।

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    Rang Panchami 2025: रंग पंचमी पर कैसे करें भगवान कृष्ण को प्रसन्न? (Pic Credit-AI)

    धर्म डेस्क,नई दिल्ली। हर साल चैत्र माह में कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर रंग पंचमी मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, आज यानी 19 मार्च (Rang Panchami 2025 Date) को रंग पंचमी का पर्व मनाया जा रह है। इस शुभ तिथि पर भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है। ऐसे में इस दिन पूजा के दौरान भगवान श्री कृष्ण की आरती कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रभु की आरती करने से साधक को शुभ परिणाम मिलते हैं और जीवन खुशहाल होता है।

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    रंग पंचमी 2025 शुभ मुहूर्त

    वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि 18 मार्च को रात 10 बजकर 09 मिनट से शुरू हो गई है और 20 मार्च को रात को 12 बजकर 36 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस प्रकार आज यानी 19 मार्च को रंग पंचमी का त्योहार मनाया जा है।

    श्रीकृष्ण जी की आरती

    आरती कुंजबिहारी की,

    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

    आरती कुंजबिहारी की,

    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

    गले में बैजंती माला,

    बजावै मुरली मधुर बाला ।

    (Pic Credit-AI)

    श्रवण में कुण्डल झलकाला,

    नंद के आनंद नंदलाला ।

    गगन सम अंग कांति काली,

    राधिका चमक रही आली ।

    लतन में ठाढ़े बनमाली

    भ्रमर सी अलक,

    कस्तूरी तिलक,

    चंद्र सी झलक,

    ललित छवि श्यामा प्यारी की,

    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

    आरती कुंजबिहारी की,

    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

    कनकमय मोर मुकुट बिलसै,

    देवता दरसन को तरसैं ।

    गगन सों सुमन रासि बरसै ।

    बजे मुरचंग,

    मधुर मिरदंग,

    ग्वालिन संग,

    अतुल रति गोप कुमारी की,

    श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

    आरती कुंजबिहारी की,

    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

    जहां ते प्रकट भई गंगा,

    सकल मन हारिणि श्री गंगा ।

    स्मरन ते होत मोह भंगा

    बसी शिव सीस,

    जटा के बीच,

    हरै अघ कीच,

    चरन छवि श्री बनवारी की,

    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

    आरती कुंजबिहारी की,

    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

    चमकती उज्ज्वल तट रेनू,

    बज रही वृंदावन बेनू ।

    चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू

    हंसत मृदु मंद,

    चांदनी चंद,

    कटत भव फंद,

    टेर सुन दीन दुखारी की,

    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

    आरती कुंजबिहारी की,

    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

    आरती कुंजबिहारी की,

    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

    आरती कुंजबिहारी की,

    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

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    आरती श्री राधा रानी जी की  

    आरती राधाजी की कीजै।

    कृष्ण संग जो कर निवासा, कृष्ण करे जिन पर विश्वासा।

    आरती वृषभानु लली की कीजै। आरती

    कृष्णचन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई।

    उस शक्ति की आरती कीजै। आरती

    नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई, यमुना तट पर रास रचाई।

    आरती रास रसाई की कीजै। आरती

    प्रेम राह जिनसे बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।

    आरती राधाजी की कीजै। आरती

    दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती।

    आरती दु:ख हरणीजी की कीजै। आरती

    दुनिया की जो जननी कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे।

    आरती जगत माता की कीजै। आरती

    निज पुत्रों के काज संवारे, रनवीरा के कष्ट निवारे।

    आरती विश्वमाता की कीजै। आरती राधाजी की

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।