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Ramcharitmanas: रामचरितमानस की वो 11 चौपाइयां, जो आपके 11 मनोकामनाओं की कर सकती हैं पूर्ति

Ramcharitmanas कहते हैं जिस घर में रामचरितमानस का पाठ होता है वहां कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती। कुछ चौपाइयां ऐसी हैं जिनसे मनचाही कामनाएं पूरी हो जाती हैं।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 10:00 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 10:00 AM (IST)
Ramcharitmanas: रामचरितमानस की वो 11 चौपाइयां, जो आपके 11 मनोकामनाओं की कर सकती हैं पूर्ति
Ramcharitmanas: रामचरितमानस की वो 11 चौपाइयां, जो आपके 11 मनोकामनाओं की कर सकती हैं पूर्ति

Ramcharitmanas: श्रीराम की जन्म स्थली अयोध्या नगरी में फिर से वही उल्लास दिखाई दे रहा है, जो राम लाला के जन्म समय पर रहा होगा। 5 अगस्त 2020 को ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण श्री राम लला के मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करने वाले हैं। यह दिन ज्योतिष की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगा। इस समय कोरोना के चलते आप रामलला के दर्शन करने अयोध्या तो नहीं जा सकते हैं, परंतु उनके काव्य स्वरूप से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। कहते हैं जिस घर में रामचरितमानस का पाठ होता है, वहां कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती। ज्योतिषाचार्या साक्षी शर्मा के अनुसार, कुछ खास चौपाइयां ऐसी हैं, जिनसे मनचाही कामनाएं पूरी हो जाती हैं।

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किसी प्रकार की सिद्धि के लिए -

साधक नाम जपहिं लय लाएं।

होहि सिद्धि अनिमादिक पाएं।।

सम्पत्ति की प्राप्ति के लिए-

जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं।

सुख सम्पत्ति नानाविधि पावहिं।।

धन लक्ष्मी माँ की कृपा के लिए-

जिमि सरिता सागर मंहु जाही।

जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।

तिमि सुख संपत्ति बिनहि बोलाएं।

धर्मशील पहिं जहि सुभाएं।।

आनंद की प्राप्ति के लिए-

सुनहि विमुक्त बिरत अरू विबई।

लहहि भगति गति संपति नई।।

विद्या प्राप्ति के लिए-

गुरु ग्रह गए पढ़न रघुराई।

अल्पकाल विद्या सब आई।।

ज्ञान प्राप्ति के लिए-

छिति जल पावक गगन समीरा।

पंचरचित अति अधम शरीरा।।

प्रीति में वृद्धि के लिए-

सब नर करहिं परस्पर प्रीती।

चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती।।

परीक्षा में सफलता के लिए-

जेहि पर कृपा करहिं जनुजानी।

कवि उर अजिर नचावहिं बानी।।

मोरि सुधारहिं सो सब भांती।

जासु कृपा नहिं कृपा अघाती।।

विपत्ति से रक्षा के लिए-

राजिव नयन धरैधनु सायक।

भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।।

संकट से रक्षा के लिए-

जौं प्रभु दीन दयाल कहावा।

आरतिहरन बेद जसु गावा।।

जपहि नामु जन आरत भारी।

मिंटहि कुसंकट होहि सुखारी।।

विघ्न विनाश के लिए-

सकल विघ्न व्यापहि नहिं तेही।

राम सुकृपा बिलोकहिं जेही।।

डिस्क्लेमर-

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी. ''


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