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    Rama Navami 2021: आज है रामनवमी, जानें मंत्र, पूजा विधि, आरती समेत सभी महत्वपूर्ण जानकारियां

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Wed, 21 Apr 2021 05:50 AM (IST)

    Rama Navami 2021 चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी मनाई जाती है। राम जी का जन्म सूर्यवंशी इक्ष्वाकु वंश में हुआ था और अयोध्या के लोगों द्वारा उन्हें राजा राम के रूप में पूजा जाता था।

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    Rama Navami 2021: आज है रामनवमी, जानें मंत्र, पूजा विधि, आरती समेत सभी महत्वपूर्ण जानकारियां

    Rama Navami 2021: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी मनाई जाती है। राम जी का जन्म सूर्यवंशी इक्ष्वाकु वंश में हुआ था और अयोध्या के लोगों द्वारा उन्हें राजा राम के रूप में पूजा जाता था। कहा जाता है कि राम जी भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे। यह नवरात्रि का नौंवा दिन भी है और यह मां दुर्गा को समर्पित है। चैत्र नवरात्रि हिंदू नववर्ष के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। चंद्र कैलेंडर के अनुसार, यह राम नवमी के साथ संपन्न होती है। तो आइए जानते हैं राम नवमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और अन्य जानकारी।

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    राम नवमी का शुभ मुहूर्त:

    नवमी तिथि आरम्भ: 21 अप्रैल 2021, बुधवार रात 12 बजकर 43 मिनट से

    नवमी तिथि समाप्त: 22 अप्रैल 2021, गुरुवार रात 12 बजकर 35 मिनट तक

    राम नवमी शुभ मुहूर्त: 11 बजकर 02 मिनट से 13 बजकर 38 मिनट तक

    कुल अवधि: 02 घंटे 36 मिनट तक

    राम नवमी का सबसे शुभ मुहूर्त: 12 बजकर 20 मिनट से

    रामनवमी की पूजा विधि:

    इस दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं। फिर सभी नित्यकर्मों से निवृत्त हो स्नानादि कर लें और स्वच्छ वस्त्र पहन लें। इसके बाद नवमी पूजा आरंभ करें। फिर श्री राम के समक्ष दीप जलाएं। इसके बाद सभी देवी-देवताओं का ध्यान लगाएं और अपनी मनोकामनाएं मांगे। फिर श्री राम को मिष्ठान, फल, फूल आदि अर्पित करें। इसके बाद मंत्रों का जाप करें। अगर संभव हो तो घर में हवन कराएं। अंत में श्री राम की आरती करें।

    राम जी की कथा:

    पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्री राम का अवतार त्रेता युग में हुआ था। अयोध्या के राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया था। इस यज्ञ से प्राप्त खीर को उन्होंने अपनी प्रिय पत्नी कौशल्या को दे दिया था। कौशल्या ने उसमें से आधा हिस्सा कैकेयी को दिया। फिर दोनों ने अपने हिस्से से आधी-आधी खीर सुमित्रा को दे दी। इस खीर के सेवन से चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशल्या की कोख से भगवान श्री राम का जन्म हुआ। वहीं, कैकेयी से भरत तो सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।

    राम जी के मंत्र और स्तुति:

    स्तुति: श्री रामचन्द्र कृपालु भज मन हरण भवभय दारुणम्, नवकंज लोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कंजारुणम्.

    मंत्र: ॐ नमो भगवते रामचंद्राय:

    श्री राम की आरती:

    आरती कीजै रामचन्द्र जी की।

    हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥

    पहली आरती पुष्पन की माला।

    काली नाग नाथ लाये गोपाला॥

    दूसरी आरती देवकी नन्दन।

    भक्त उबारन कंस निकन्दन॥

    तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।

    रत्‍‌न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥

    चौथी आरती चहुं युग पूजा।

    देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥

    पांचवीं आरती राम को भावे।

    रामजी का यश नामदेव जी गावें॥

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '

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