Raksha Bandhan Shubh Muhurat: जानें राखी बांधने का मुहूर्त, आज 29 साल पर बना है यह दुर्लभ संयोग
Raksha Bandhan Shubh Muhuratआज देशभर में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। आज पूरे दिन में राखी बांधने के तीन शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहे हैं।
Raksha Bandhan Shubh Muhurat: आज पूरे देश में बहनें अपने भाइयों को राखी बांधकर रक्षाबंधन का पावन त्योहार मना रही हैं। वहीं, भाई भी बहनों को शुभकामनाओं के साथ दक्षिणा में रक्षा का वजन दे रहे हैं। आज जो भाई-बहन कोरोना के चलते इस बार दूर हैं, वो जल्दबाजी न करें, जहां हैं वहीं से रक्षाबंधन मनाएं। वीडियो कॉल, ऑडियो कॉल के जरिए एक दूजे को देखें, दुआएं करें, लम्बी उम्र की मनोकामना करें। भाई-बहन के प्रेम उत्सव का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन का पर्व इस बार तीन अगस्त को कई शुभ संयोग में मनाया जाएगा। इस बार श्रावणी पूर्णिमा के साथ महीने का श्रावण नक्षत्र भी पड़ रहा है, इसलिए पर्व की शुभता और बढ़ जाती है। श्रावणी नक्षत्र का संयोग पूरे दिन रहेगा।
29 साल बाद आया रक्षाबंधन पर ऐसा शुभ संयोग
इस साल सावन के आखिरी सोमवार यानी 3 अगस्त पर रक्षाबंधन का त्योहार पड़ रहा है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि भाई-बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन इस बार बेहद खास होगा क्योंकि इस साल रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि और दीर्घायु आयुष्मान का शुभ संयोग बन रहा है। रक्षाबंधन पर ऐसा शुभ संयोग 29 साल बाद आया है। साथ ही इस साल भद्रा और ग्रहण का साया भी रक्षाबंधन पर नहीं पड़ रहा है।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
राखी बांधने का मुहूर्त- 09:27:30 से 21:11:21 तक।
रक्षा बंधन अपराह्न मुहूर्त- 13:45:16 से 16:23:16 तक।
रक्षा बंधन प्रदोष मुहूर्त- 19:01:15 से 21:11:21 तक।
मुहूर्त अवधि: 11 घंटे 43 मिनट।
रक्षा बंधन पर बन रहे शुभ योग
इस साल रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि और दीर्घायु आयुष्मान योग के साथ ही सूर्य शनि के समसप्तक योग, सोमवती पूर्णिमा, मकर का चंद्रमा श्रवण नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और प्रीति योग बन रहा है। इसके पहले यह संयोग साल 1991 में बना था। इस संयोग को कृषि क्षेत्र के लिए विशेष फलदायी माना जा रहा है। रक्षाबंधन से पहले 2 अगस्त को रात्रि 8 बजकर 43 मिनट से 3 अगस्त को सुबह 9 बजकर 28 मिनट तक भद्रा रहेगी। इसके साथ ही शाम 7 बजकर 49 मिनट से दीर्घायु कारक आयुष्मान योग भी लग जाएगा।
अटूट रिश्ते का इतिहास
धार्मिक मान्यता के अनुसार, शिशुपाल राजा का वध करते समय भगवान श्री कृष्ण के बाएं हाथ से खून बहने लगा, तो द्रोपदी ने तत्काल अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ की अंगुली पर बांध दिया। कहा जाता है कि तभी से भगवान कृष्ण द्रोपदी को अपनी बहन मानने लगे और सालों के बाद जब पांडवों ने द्रोपदी को जुए में हरा दिया और भरी सभा में जब दुशासन द्रोपदी का चीरहरण करने लगा तो भगवान कृष्ण ने भाई का फर्ज निभाते हुए उसकी लाज बचाई थी।
मान्यता है कि तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा, जो आज भी जारी है। श्रावण मास की पूर्णिमा को भाई-बहन के प्यार का त्योहार रक्षाबंधन मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण की बहन ने भद्रा में उसे रक्षा सूत्र बांधा था, जिससे रावण का सर्वनाश हो गया था।