Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Puja Path Tips: पूजा के बाद आरती करने का क्यों है इतना महत्व, जानिए आरती लेने का सही तरीका

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Wed, 07 Jun 2023 10:11 AM (IST)

    आरती का अर्थ होता है भगवान को याद करना उनके प्रति आपना आदर भाव प्रकट करना ईश्वर का स्मरण करना और उनका गुणगान करना। सभी लोग अपने आराध्य की पूजा विशेष ढंग से करते हैं। आइए जानते हैं कि आरती करने और आरती लेने का सही तरीका क्या है।

    Hero Image
    Puja Path Tips पूजा के बाद आरती करने का क्या महत्व है।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Puja Path Tips: हिंदू धर्म में जितना महत्व पूजा का है उतना ही महत्व आरती का भी बताया गया है। आरती, पूजा के बाद किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण काम है। ऐसी मान्यता है कि पूजा के बाद आरती न करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पूजा के बाद आरती क्यों है जरूरी

    आरती को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। किसी भी पूजा का समापन हमेशा आरती से करने का मतलब यही है कि अब पूजन समाप्त हो गया है और हम भगवान से कुशलता की कामना करने वाले हैं। आरती करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और मनोकामना पूरी होती है। इतनी ही नहीं, आरती व्यक्ति के आत्म बल को बढ़ाने में भी मदद करती है।

    क्या है आरती करने का सही तरीका

    सभी लोग अपनी श्रद्धा अनुसार, पूजा-पाठ व आरती करते हैं। हिंदू धर्म में भगवान की आरती करने का भी एक तरीका बताया गया है। आरती को पूजा के बाद किसी भी भगवान के सामने घड़ी की दिशा में गोलाकार गति में घुमाया जाता है। भगवान की आरती सबसे पहले भगवान के चरणों से शुरू करनी चाहिए। सबसे पहले आरती उतारते समय चार बार दीपक को सीधी दिशा में घुमाएं। उसके बाद ईश्वर की नाभि के पास दो बार आरती उतारें, उसके बाद सात बार भगवान के मुख की आरती उतारें। आरती में शंख और घंटी बजाने का विशेष महत्व है। इसकी ध्वनि से चारों तरफ का वातावरण स्वच्छ हो जाता है।

    जानिए आरती लेने का सही तरीका

    भगवान की आरती होने के बाद भक्तगण अपने दोनों हाथों से आरती लेते हैं। आरती लेने का पहला भाव ये होता है कि जिस दीपक की लौ ने हमें अपने आराध्य के नख-शिख के इतने सुंदर दर्शन कराएं हैं, उसको हम सिर पर धारण करते हैं। वहीं दूसरा भाव ये होता है कि जिस दीपक की बाती ने भगवान के अरिष्ट हरे हैं, जलाए हैं, उसे हम अपने मस्तक पर धारण करते हैं। आरती लेने का सही तरीका ये होता है कि आरती की लौ को हाथ से लेकर पहले सिर पर घुमाएं और उसके बाद उस आरती की लौ को अपने माथे की ओर धारण करें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'