Puja Niyam: कलावा बांधते समय रखें कुछ नियमों का ध्यान, स्वयं देवी-देवता करेंगे रक्षा
Puja Niyam पूजा में कलावा अर्थात रक्षा सूत्र बांधने की प्रथा सदियों पुरानी है। लेकिन शास्त्रों में रक्षा सूत्र बांधने और बंधवाने के सन्दर्भ में कुछ नियम बताए गए हैं। जिनका पालन करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं क्या है कलावा बांधने के नियम।
नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Puja Niyam, Raksha Sutra: प्रत्येक अनुष्ठान में एवं पूजा-पाठ के दौरान कई परंपराओं का पालन किया जाता है। जिसमें तिलक लगाना, मंत्रोचारण करना, गले में रुद्राक्ष या माला धारण करना शामिल है। लेकिन इस दौरान हाथों में कलावा बांधने को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है और इस परंपरा का पालन प्राचीन काल से किया जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हाथों में बांधा गया कलावा रक्षा सूत्र के रूप में कार्य करता है और इससे कई प्रकार के दोष एवं समस्याएं दूर हो जाती हैं। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि कलावा बांधते समय व्यक्ति को कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। आइए जानते हैं क्या है कलावा बांधने और बंधवाने का नियम।
कलावा बांधने के नियम (Kalava Niyam)
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ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि कलावा बांधते समय व्यक्ति का हाथ खाली नहीं रहना चाहिए। इसलिए इस दौरान अपने हाथ में एक या दो रुपए का सिक्का रख लें।
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रक्षा सूत्र बांधते समय 3 या 5 बार रक्षा सूत्र को हाथ में घुमाएं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह संख्या बहुत ही शुभ होती है और इससे साधक के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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कलावा बांधते व बंधवाते समय 'येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः । तेन त्वां मनु बध्नामि, रक्षे माचलः माचलः ।।' मंत्र का जाप करें। इस मंत्र के जाप से रक्षा सूत्र का प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है।
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कलावा यदि पुराना हो गया है तो शुभ दिन पर अच्छे समय में नया कलावा बंधवा लें और पुराने कालवे को कूड़े दान में भूलकर भी ना फेंके। ऐसा करना देवी-देवताओं के अपमान के समान होता है। बल्कि इसे मन्दिर में किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें और जब मौका मिले तब इसे बहती नदी में प्रवाहित कर दें।
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि कलावा बांधने या बंधवाने के लिए मंगलवार या शनिवार का दिन बहुत शुभ होता है। साथ ही अमावस्या तिथि के दिन भी इसको बांधा जा सकता है।
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