Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, जल्द खुलेंगे सफलता के रास्ते
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार इस व्रत को हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। इस दिन महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना संध्याकाल में करने का विधान है। साथ ही अन्न और धन का दान किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इन कामों को करने से साधक को महादेव की कृपा प्राप्त होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत 11 मार्च (Pradosh Vrat 2025 Date) को प्रदोष व्रत किया जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को सच्चे मन से करने से सभी कामों में सफलता मिलती है। ऐसे में इस दिन शिव पंचाक्षर स्तोत्र और श्री शिवरामाष्टक स्तोत्र का पाठ करें। इसका पाठ करने से महादेव प्रसन्न होते हैं। साथ ही सभी मुरादें पूरी होती हैं।
प्रदोष व्रत 2025 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 मार्च को सुबह 08 बजकर 13 मिनट पर शुरू होगी और 12 मार्च को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस प्रकार 11 मार्च को प्रदोष व्रत किया जाएगा।
ऐसे दूर करें चंद्र दोष
अगर आप चंद्र दोष को दूर करना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा करें और चावल, चीनी का दान करें। मान्यता है कि इन चीजों का दान करने से चंद्र दोष दूर होता है और महादेव सभी मुरादें पूरी करते हैं।
॥ शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनायभस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बरायतस्मै न काराय नमः शिवाय॥
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चितायनन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजितायतस्मै म काराय नमः शिवाय॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजायतस्मै शि काराय नमः शिवाय्॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनायतस्मै व काराय नमः शिवाय॥
यक्षस्वरूपाय जटाधरायपिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बरायतस्मै य काराय नमः शिवाय॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं शिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम्। ॥
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॥ श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम् ॥
शिवहरे शिवराम सखे प्रभो,त्रिविधताप-निवारण हे विभो।
अज जनेश्वर यादव पाहि मां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
कमल लोचन राम दयानिधे,हर गुरो गजरक्षक गोपते।
शिवतनो भव शङ्कर पाहिमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
स्वजनरञ्जन मङ्गलमन्दिर,भजति तं पुरुषं परं पदम्।
भवति तस्य सुखं परमाद्भुतं,शिवहरे विजयं कुरू मे वरम्॥
जय युधिष्ठिर-वल्लभ भूपते,जय जयार्जित-पुण्यपयोनिधे।
जय कृपामय कृष्ण नमोऽस्तुते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
भवविमोचन माधव मापते,सुकवि-मानस हंस शिवारते।
जनक जारत माधव रक्षमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
अवनि-मण्डल-मङ्गल मापते,जलद सुन्दर राम रमापते।
निगम-कीर्ति-गुणार्णव गोपते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
पतित-पावन-नाममयी लता,तव यशो विमलं परिगीयते।
तदपि माधव मां किमुपेक्षसे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
अमर तापर देव रमापते,विनयतस्तव नाम धनोपमम्।
मयि कथं करुणार्णव जायते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
हनुमतः प्रिय चाप कर प्रभो,सुरसरिद्-धृतशेखर हे गुरो।
मम विभो किमु विस्मरणं कृतं,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
नर हरेति परम् जन सुन्दरं,पठति यः शिवरामकृतस्तवम्।
विशति राम-रमा चरणाम्बुजे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
प्रातरूथाय यो भक्त्या पठदेकाग्रमानसः।
विजयो जायते तस्य विष्णु सान्निध्यमाप्नुयात्॥11॥
॥ इति श्रीरामानन्दस्वामिना विरचितं श्रीशिवरामाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
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