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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को इस तरह करें प्रसन्न, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

शिव पुराण में प्रदोष व्रत की महिमा और व्रत लाभ के बारे में वर्णन देखने को मिलता है। इस दिन भगवान शिव के निमित्त व्रत रख साधक महादेव संग माता पार्वती की पूजा करते हैं। प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जप करना चाहिए। मान्यता है कि मंत्रों का जप करने से जातक को जीवन में सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 16 Jun 2024 05:06 PM (IST)
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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को इस तरह करें प्रसन्न, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2024 Puja Mantra: हर माह के कृष्ण और शुक्ल की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। साथ ही इस दिन संध्याकाल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही जीवन के संकटों को दूर करने के लिए व्रत भी किया जाता है। प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जप करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इससे जातक का जीवन सदैव खुशहाल रहता है। साथ ही सभी मनोकामनएं पूरी होंगी। आइए इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे प्रदोष व्रत पूजा मंत्र के बारे में, जिनका जप करना जीवन के लिए फलदायी होगा।

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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 19 जून को सुबह 07 बजकर 28 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 20 जून को सुबह 07 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत 19 जून को मनाया जाएगा।

प्रदोष व्रत के मंत्र 

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

शिव स्तुति मंत्र

द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि। उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।

श‍िव नामावली मंत्र

।। श्री शिवाय नम:।।

।। श्री शंकराय नम:।।

।। श्री महेश्वराय नम:।।

।। श्री सांबसदाशिवाय नम:।।

।। श्री रुद्राय नम:।।

।। ओम पार्वतीपतये नम:।।

।। ओम नमो नीलकण्ठाय नम:।।

शिव प्रार्थना मंत्र

करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं । विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥

शिव गायत्री मंत्र

ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।

शिव आरोग्य मंत्र

माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा। आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।

ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।