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    Pradosh Vrat 2023: शुक्र प्रदोष व्रत पर बन रहे हैं ये शुभ योग, जो खोल सकते हैं आपकी किस्मत

    Shukra Pradosh Vrat 2023 प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की आराधना करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान पूर्वक महादेव की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है। इस बार प्रदोष व्रत पर कई शुभ योग बन रहे हैं जो साधक के लिए बहुत लाभकारी रहने वाले हैं। ऐसे में आइए जानते हैं प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त।

    By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Fri, 24 Nov 2023 07:00 AM (IST)
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    Pradosh Vrat Shubh yog शुक्र प्रदोष व्रत पर बन रहे हैं ये शुभ योग।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2023 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार जब प्रदोष काल के दौरान त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत किए जाते हैं, एक कृष्ण पक्ष के दौरान और दूसरा शुक्ल पक्ष में किया जाता है। ऐसे में 24 नवंबर को कार्तिक माह का दूसरा प्रदोष व्रत कब किया जाएगा। यह व्रत शुक्रवार के दिन पड़ रहा है जिस कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा।

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    प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh muhurat)

    कार्तिक माह की शुक्ल त्रयोदशी तिथि 24 नवंबर को शाम 07 बजकर 06 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इसका समापन 25 नवंबर शाम 05 बजकर 22 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार प्रदोष व्रत 24 नवंबर, शुक्रवार के दिन किया जाएगा। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करना शुभ माना जाता है। ऐसे में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 06 मिनट से रात 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।

    बन रहे हैं ये शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh yog)

    शुक्र प्रदोष व्रत के शुभ अवसर पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं जिन्हें ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से बहुत ही शुभ माना गया है। इस दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहने वाला है। वहीं, अमृत सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 51 मिनट से शाम 04 बजकर 01 मिनट तक रहेगा।

    इस विधि से करें पूजा (Pradosh Vrat Puja Vidhi)

    प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय की जाती है। ऐसे में संध्या समय शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें। घी, शहद दूध, दही और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, कनेर के फूल, भांग, आदि अर्पित करें। अंत में आरती करते हुए सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'