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Som Pradosh Vrat 2023: हिन्दू नववर्ष का प्रथम प्रदोष व्रत कब? जानिए तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

Pradosh Vrat 2023 चैत्र मास का अंतिम और हिन्दू नववर्ष का पहला प्रदोष व्रत 04 मार्च 2023 सोमवार के दिन रखा जाएगा जिसे सोम प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाएगा। इस विशेष दिन पर भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Fri, 31 Mar 2023 10:59 AM (IST)Updated: Fri, 31 Mar 2023 10:59 AM (IST)
Som Pradosh Vrat 2023: हिन्दू नववर्ष का प्रथम प्रदोष व्रत कब? जानिए तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि
Som Pradosh Vrat 2023: जानिए कब है चैत्र मास का अंतिम प्रदोष व्रत?

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Som Pradosh Vrat 2023 Date and Puja Vidhi: हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस विशेष दिन पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी उपासना की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चैत्र मास का अंतिम और हिन्दू नववर्ष का प्रथम प्रदोष व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाएगा। सोमवार का दिन होने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस विशेष दिन पर भगवान शिव की उपासना करने से साधकों की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है और जीवन में आ रहीं सभी बाधाएं समाप्त हो जाती है। आइए जानते हैं, कब है चैत्र मास का अंतिम प्रदोष व्रत तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि?

सोम प्रदोष व्रत 2023 तिथि (Pradosh Vrat 2023 Date)

हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ 03 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर होगा और इसका समापन 04 मार्च को सुबह 08 बजकर 05 मिनट हो जाएगा। प्रदोष काल में पूजा समय होने के कारण यह व्रत 03 अप्रैल 2023, सोमवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन पूजा का समय संध्या 06 बजकर 40 मिनट से रात्रि 08 बजकर 58 मिनट के बीच रहेगा।

सोम प्रदोष व्रत 2023 पूजा विधि (Pradosh Vrat 2023 Puja Vidhi)

प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल यानि सूर्यास्त से कुछ समय पहले भोलेनाथ की पूजा प्रारंभ की जाती है। इस दिन सुबह की पूजा विधि-विधान से करें और व्रत का संकल्प लें। संध्या पूजा से पहले एक बार फिर स्नान-ध्यान करें और साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद गंध, पुष्प, धूप-दीप, बेलपत्र, अक्षत और गंगाजल इत्यादि से महादेव की उपासना करें। पूजा के दौरान ध्यान रखें कि आपका मुख उत्तर पूर्व दिशा में हो।

पूजा के समय निरंतर 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते रहें और भगवान शिव का अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र- 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात।।' मंत्र का जाप अवश्य करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विधि से भोलेनाथ की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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