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    Pitru Paksha 2023: जानिए कब है पितृ पक्ष का द्वादशी श्राद्ध? यहां पढ़ें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Tue, 10 Oct 2023 09:31 AM (IST)

    Dwadashi Shradh Date सनातन धर्म में पितृ पक्ष की अवधि पितरों को समर्पित होती है। इस अवधि में पितरों का श्राद्ध तर्पण और पिंडदान आदि करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो चुकी है। ऐसे में आइए जानते हैं कि द्वादशी श्राद्ध कब किया जाएगा और इसका शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

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    Dwadashi Shradh Date : जानिए द्वादशी श्राद्ध का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि?

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Shradh 2023 Date: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा अर्थात 29 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है, साथ ही इसका समापन आश्विन माह की अमावस्या तिथि यानी 14 अक्टूबर को होगा। द्वादशी श्राद्ध उन मृतक परिजनों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु द्वादशी तिथि पर होती है। साथ ही यह भी माना जाता है कि जो लोग मृत्यु से पहले सन्यास ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिए द्वादशी तिथि पर श्राद्ध करना उपयुक्त होता है।

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    द्वादशी तिथि शुभ मुहूर्त (Dwadashi Shraddha Shubh Muhurat)

    इस वर्ष द्वादशी तिथि का प्रारम्भ 10 अक्टूबर 2023, को दोपहर 03 बजकर 08 मिनट पर हो रहा है। साथ ही इसका समापन 11 अक्टूबर शाम 05 बजकर 37 मिनट पर होगा। ऐसे में द्वादशी श्राद्ध 11 अक्टूबर को किया जाएगा। जिस दौरान शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा -

    कुतुप मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक

    रौहिण मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से 01 बजकर 17 मिनट तक

    अपराह्न काल - दोपहर 01 बजकर 17 मिनट से 03 बजकर 37 मिनट तक

    यह भी पढ़ें - Sarva Pitru Amavasya 2023: सर्वपितृ अमावस्या पर करें ये खास उपाय, प्राप्त होगा शनिदेव का आशीर्वाद

    द्वादशी श्राद्ध पूजा विधि (Dwadashi Shradh Vidhi)

    पितृ पक्ष के द्वादशी श्राद्ध के दौरान पितरों के निमित्त, तिल के तेल का दीपक जलाएं और सुगंधित धूप जलाएं। इसके बाद जल में मिश्री और तिल मिलाकर तर्पण करें। सही विधि से जल अर्पित करें। ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है। साथ ही इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। ऐसे में आप द्वादशी श्राद्ध के दिन अन्न और धन का दान जरूरतमंदों को कर सकते हैं।

    आप द्वादशी श्राद्ध पर पितरों के निमित्त भागवत गीता के दसवें अध्याय का पाठ भी कर सकते हैं। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद आपके ऊपर बना रहता है। इसके साथ ही श्राद्ध कर्म पूर्ण होने के बाद दस ब्राह्मणों को भोजन कराएं। यदि आप ऐसा करने में असमर्थ हैं तो इसके स्थान पर आप केवल 1 ब्राह्मण को भी भोजन करवा सकते हैं। साथ ही इस दिन कौआ, गाय, कुत्ता और चींटियों के लिए भी भोजन जरूर निकालें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'