Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti: पूर्णिमा तिथि पर करें श्री सत्यनारायण जी की आरती, घर आएगी सुख और समृद्धि

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 31 Jul 2023 04:14 PM (IST)

    Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti धार्मिक मान्यता है कि श्री सत्यनारायण जी की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। अगर आप भी भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो पूर्णिमा तिथि पर विधि विधान से श्री सत्यनारायण जी की पूजा करें।

    Hero Image
    Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti: पुरुषोत्तम मास की पूर्णिमा तिथि पर करें श्री सत्यनारायण जी की आरती

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti: हिन्दू पंचांग के अनुसार, 1 अगस्त को अधिक मास की पूर्णिमा है। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि पर पूजा, जप-तप और दान करने का विधान है। साथ ही पूर्णिमा तिथि पर श्री सत्यनारायण जी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि श्री सत्यनारायण जी की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। अगर आप भी भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो पूर्णिमा तिथि पर विधि विधान से श्री सत्यनारायण जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय श्री सत्यनारायण जी की आरती अवश्य करें। धर्म शास्त्रों में निहित है कि पूजा के समय आरती करने से घर में मौजूद सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर हो जाते हैं। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए, विष्णु जी की आरती करें-

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    श्री सत्यनारायण जी आरती

    जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    रत्‍‌न जडि़त सिंहासन, अद्भुत छवि राजै ।

    नारद करत निराजन, घण्टा ध्वनि बाजै ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दर्श दियो ।

    बूढ़ा ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी ।

    चन्द्रचूड़ एक राजा, तिनकी विपत्ति हरी ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्ही ।

    सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर-स्तुति कीन्हीं ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धरयो ।

    श्रद्धा धारण कीन्हीं, तिनको काज सरयो ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    ग्वाल-बाल संग राजा, वन में भक्ति करी ।

    मनवांछित फल दीन्हों, दीनदयाल हरी ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल, मेवा ।

    धूप दीप तुलसी से, राजी सत्यदेवा ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    श्री सत्यनारायण जी की आरती, जो कोई नर गावै ।

    ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति, सहज रूप पावे ॥

    जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'