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    Paush Purnima 2024: पौष पूर्णिमा पर जरूर करना चाहिए सत्यनारायण की कथा का पाठ, यहां जानें सही विधि

    Updated: Wed, 24 Jan 2024 12:10 PM (IST)

    Satyanarayan Katha on Purnima हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है। ऐसे में इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। कई साधक इस तिथि पर भगवान विष्णु के निमित व्रत भी करते हैं। साथ ही पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की कथा पढ़ना या सुनना भी बहुत-ही शुभ माना गया है। ऐसे में आइए जानते हैं इससे जुड़े कुछ खास नियम।

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    Satyanarayan Katha on Paush Purnima: सत्यनारायण की कथा से जुड़े कुछ खास नियम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Paush Purnima 2024 Tithi: हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह में 25 जनवरी, गुरुवार के दिन साल 2024 की पहली पूर्णिमा मनाई जाएगी। धार्मिक पुराणों में बताया गया है कि पौष पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और धर्म-कर्म के कार्यों को करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही विष्णु जी का ही एक स्वरूप स्वरूप माने गए भगवान सत्यनारायण की कथा करना भी पूर्णिमा के दिन विशेष लाभकारी होता है।

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    पूर्णिमा तिथि का शुभ मुहूर्त  (Purnima Shubh muhurat)

    पौष माह की पूर्णिमा तिथि 24 जनवरी 2024 को रात 09 बजकर 49 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, पूर्णिमा तिथि 25 जनवरी को रात्रि 11 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में इस साल पौष पूर्णिमा 25 जनवरी, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।

    सत्यनारायण कथा का महत्व

    पूर्णिमा पर सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ने और सुनने की परंपरा काफी पहले से चली आ रही है। ऐसा करने से साधक को सभी दुख-दर्द दूर होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सत्यनारायण भगवान हमेशा सच बोलने का संदेश देते हैं। सत्यनारायण की कथा से हमें कई सीख मिलती हैं, जैसे अपना संकल्प कभी नहीं भूलना चाहिए और कभी भी भगवान के प्रसाद का अपमान न करें।

    करें ये काम

    पूर्णिमा के दिन उपवास करने वाले साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाना चाहिए। इसके बाद चौकी पर कलश रखकर सत्यनारायण भगवान की तस्वीर रखकर शुभ मुहूर्त में पूजन करें। पूजा के दौरान आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। संध्या काल में पंडित को बुलाकर परिवार सहित सत्यनारायण की कथा श्रवण करें। इसके बाद भगवान को चरणामृत, पान, तिल, रोली, कुमकुम, फल, फूल, सुपारी और दूर्वा आदि अर्पित करें। अंत में सभी लोगों में कथा का प्रसाद बांटे।

    जरूर करें ये काम

    पूर्णिमा के दिन दक्षिणावर्ती शंख से विष्णु जी और मां लक्ष्मी का अभिषेक करना ज्यादा अच्छा माना जाता है। अभिषेक के बाद भगवान विष्णु  को नए वस्त्र पहनाएं और फूलों से उनका श्रृंगार करें। इसके बाद धूप-दीप जलाएं और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। अंत में मिठाई का भोग लगाते हुए विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'