Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Papmochani Ekadashi 2023: समस्त पापों को हर लेने वाली पापमोचनी एकादशी आज, जानिए व्रत का महत्व और नियम

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Sat, 18 Mar 2023 12:12 PM (IST)

    Papmochani Ekadashi हिन्दू धर्म में पापमोचनी एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की आराधना करने से सभी अनजाने में हुई गलतियों से मुक्ति मिल जाती है और सभी दुख दूर हो जाते हैं।

    Hero Image
    Papmochani Ekadashi 2023: जानिए पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्व और नियम।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Papmochani Ekadashi 2023 Significance: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। विशेष दिन पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन आज के दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं। चैत्र मास में आज यानि 18 मार्च के दिन पापमोचनी एकादशी व्रत रखा जा रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शास्त्रों में बताया गया है कि मनुष्य जाने-अंजाने में कुछ ऐसे पाप कर बैठता है, जिसके कारण उसे इस जीवन में व अगले जीवन में दंड भोगना पड़ता है। ऐसे में इन पापों से बचने के लिए पापमोचनी एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्व और इसके नियम।

    पापमोचनी एकादशी व्रत महत्व (Papmochani Ekadashi 2023 Significance)

    धर्म ग्रंथ एवं पुराणों में बताया गया है की एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। वहीं पापमोचनी एकादशी व्रत रखने से अनजाने में हुई गलतियों से साधक को छुटकारा मिल जाता है और उसे सहस्त्र गोदान यानी 1000 गोदान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। जिस तरह भगवान श्रीराम पर रावण का वध करने के बाद ब्रह्म हत्या का दोष लग गया था और उन्होंने इस दोष की मुक्ति के लिए कपाल मोचन तीर्थ में स्नान और तप किया था। ठीक उसी प्रकार पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं।

    पापमोचनी एकादशी व्रत नियम (Papmochani Ekadashi 2023 Niyam)

    शास्त्रों में बताया गया है कि जाने और अंजाने में किए गए पापों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए साधक को पापमोचनी एकादशी के दिन निर्जला उपवास रखना चाहिए। यदि व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो वह फलाहारी या जलीय व्रत रख सकते हैं। निर्जला उपवास रखने से पहले दशमी तिथि के दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए और एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की उपासना विधि-विधान से करनी चाहिए। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि पापमोचनी एकादशी के दिन रात्रि जागरण कर भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक को इस जन्म के साथ-साथ पिछले जन्म के पापों से भी मुक्ति प्राप्त हो जाती है।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।