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Papmochani Ekadashi 2023: पापमोचनी एकादशी आज, जरूर करें इस चालीसा का पाठ

Papmochani Ekadashi 2023 पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ मंत्र कथा के साथ श्री विष्णु चालीसा का पाठ अवश्य करें। विष्णु चालीसा का भी पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं संपूर्ण विष्णु चालीसा

By Shivani SinghEdited By: Shivani SinghPublished: Fri, 17 Mar 2023 03:35 PM (IST)Updated: Sat, 18 Mar 2023 07:00 AM (IST)
Papmochani Ekadashi 2023: पापमोचनी एकादशी आज, जरूर करें इस चालीसा का पाठ
Papmochani Ekadashi 2023: पापमोचनी एकादशी पर बन रहे हैं अद्भुत योग, जरूर करें ये पाठ

नई दिल्ली, Papmochani Ekadashi 2023: हिन्दू धर्म में पापमोचनी एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। बता दें कि इस वर्ष पापमोचनी एकादशी पर अद्भुत संयोग बन रहा है। पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन विष्णु जी की पूजा करने से और व्रत रखने से हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। पापमोचनी एकादशी में विधिवत पूजा करने के साथ विष्णु चालीसा जरूर पढ़ना चाहिए। ऐसा करने से भगवान जल्द प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

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पापमोचनी एकादशी पर बने ये अद्भुत योग

सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06 बजकर 28 मिनट से रात 12 बजकर 29 मिनट तक

द्विपुष्कर योग: रात 12 बजकर 29 मिनट से 19 मार्च को प्रात: 06 बजकर 27 मिनट तक

शिव योग: सुबह से लेकर रात 11 बजकर 54 मिनट तक

सिद्ध योग: रात 11 बजकर 54 मिनट से अगले दिन तक

पापमोचनी एकादशी पर पढ़ें श्री विष्णु चालीसा

दोहा

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

विष्णु चालीसा

नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।

तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।

करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।

भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।

देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।

मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।

हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।

गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥

हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।

देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।

जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।

करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।

सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।

पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।

निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥

॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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