Papankusha Ekadashi 2023: आज संध्या आरती के समय करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप, सभी संकटों से मिलेगी निजात
इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही व्रत उपवास रखा जाता है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आज है। इसे पापकुंशा एकादशी कहा जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Papankusha Ekadashi 2023: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। यह दिन जगत के पालनहर भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही व्रत उपवास रखा जाता है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आज है। इसे पापाकुंशा एकादशी कहा जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो आज संध्या आरती के समय इन चमत्कारी मंत्रों का जाप करें।
चमत्कारी मंत्र
1. संकटमोचन मंत्र
ध्याये न्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।
अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।
2. आपत्ति निवारक मंत्र
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥
3. संपत्ति बाधा नाशक मंत्र
ॐ नृम मलोल नरसिंहाय पूरय-पूरय
ऋण मोचक नरसिंह मंत्र ।
ॐ क्रोध नरसिंहाय नृम नम:
4. शत्रु नाशक मंत्र
ॐ नृम नरसिंहाय शत्रुबल विदीर्नाय नमः
5. यश रक्षक मंत्र
ॐ करन्ज नरसिंहाय यशो रक्ष
6. विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
7. विष्णु शान्ताकारम मंत्र
शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
यह भी पढ़ें- कब है देवउठनी एकादशी? जानें- शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व
आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी !
जय जगदीश हरे....
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।