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    शाकाहार होते हुए भी पूजा-पाठ और व्रत में क्यों होती है लहसुन-प्याज की मनाही? पढ़िए इससे जुड़ी पौराणिक कथा

    सनातन धर्म में किसी भी पूजा-पाठ या व्रत आदि के दौरान कई तरह के नियमों का ध्यान रखा जाता है। ऐसा ही एक नियम है धार्मिक कार्यक्रम के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करने का। सब्जियों में शामिल होने के बाद भी इस दौरान लहसुन-प्याज खाने की भी मनाही होती है। ऐसे में आइए जानते हैं इसके पीछे का धार्मिक कारण।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sat, 20 Apr 2024 12:39 PM (IST)
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    Hindu Vrat पूजा-पाठ और व्रत में क्यों होती है लहसुन-प्याज की मनाही?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Onion and Garlic in Vrat: हिंदू शास्त्रों में पूजा-पाठ और व्रत आदि के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता और शुद्धता का पूर्ण रूप से ध्यान रखा जाता है, तभी व्यक्ति को इसका पूर्ण लाभ मिल सकता है। इस दौरान सात्विक भोजन ही करना चाहिए। हालांकि आपके मन में यह विचार उठता होगा कि शाकाहार में शामिल होने के बाद भी धार्मिक अनुष्ठानों में लहसुन-प्याज खाने की मनाही क्यों होती है। ऐसे में इसके पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है। आइए जानते हैं वह कथा।

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    मिलती है ये पौराणिक कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सभी देवता और असुरों के बीच समुद्र मंथन किया गया। समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत प्रकट हुआ तो उसे पाने के लिए देवता और असुर के बीच विवाद हो गया। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धरकर देवताओं में अमृत बांटने लगे। इस बीच छल से एक राक्षस देवताओं के रूप में देवताओं के बीच आकर बैठ गया और उसने धोखे से अमृत पान कर लिया। 

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    भगवान विष्णु से किया चक्र का प्रहार

    उस राक्षक को सूर्य और चंद्र द्वारा पहचान लिया गया। तभी भगवान विष्णु से अपने चक्र के प्रहार से उस राक्षस के सिर को धड़ से अलग कर दिया। लेकिन तब तक वह राक्षस अमृत की कुछ बूंदें पी चुका था, जो उस समय उसके मुख में ही रह गई थीं। राक्षस का सिर कटने से रक्त की कुछ बूंदे पृथ्वी पर गिर गई और उस स्थान पर लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई। यही कारण है कि किसी भी धार्मिक कार्य या व्रत आदि में लहसुन और प्याज का सेवन वर्जित माना जाता है।

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