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    Durga Mantra: आज मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए करें मंत्र जाप, शक्ति से लेकर मोक्ष तक के हैं मंत्र

    Durga Mantra शुक्रवार को देवी दुर्गा का वार माना गया है। देवी का रूप कोई भी हो उनकी पूजा की जाए तो प्रतिफल जरूर मिलता है। यहां कुछ वो मंत्र संकलित किए जा रहे हैं जो देवी को प्रसन्न करने के लिए पूजा में शामिल किए जाते हैं।

    By Kartikey TiwariEdited By: Updated: Fri, 06 Nov 2020 12:10 PM (IST)
    आज मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए करें मंत्र जाप

    Durga Mantra: आज शुक्रवार है। शुक्रवार को देवी दुर्गा का वार माना गया है। देवी का रूप कोई भी हो, उनकी पूजा तहे दिल से की जाए तो प्रतिफल जरूर मिलता है। यहां कुछ वो मंत्र संकलित किए जा रहे हैं, जो देवी को प्रसन्न करने के लिए पूजा में शामिल किए जाते हैं।

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    1. देवी से प्रार्थना करने के लिए इस मंत्र का उपयोग किया जाता है- शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे! सर्वस्यार्तिंहरे देवि! नारायणि! नमोऽस्तुते॥

    2. सर्वकल्याण एवं शुभार्थ प्रभावशाली माना गया है- सर्व मंगलं मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥

    3. बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिए— सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः। मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥

    4. सर्वबाधा शांति के लिए— सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्।।

    5. मान्यता है कि आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए इस चमत्कारिक फल देने वाले मंत्र को स्वयं देवी दुर्गा ने देवताओं को दिया है— देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥

    ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने इस मंत्र का अर्थ बताया कि शरण में आए हुए दीनों एवं पीडि़तों की रक्षा में संलग्न रहने वाली तथा सब की पीड़ा दूर करने वाली नारायणी देवी! तुम्हें नमस्कार है। देवी से प्रार्थना कर अपने रोग, अंदरूनी बीमारी को ठीक करने की प्रार्थना भी करें। ये भगवती आपके रोग को हरकर आपको स्वस्थ कर देंगी।

    6. विपत्ति नाश के लिए— शरणागतर्दनार्त परित्राण पारायणे। सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥

    7. मोक्ष प्राप्ति के लिए— त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या। विश्वस्य बीजं परमासि माया।। सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्। त्वं वैप्रसन्ना भुवि मुक्त हेतु:।।

    8. शक्ति प्राप्ति के लिए— सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि। गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोह्यस्तु ते।।

    अर्थातः तुम सृष्टि, पालन और संहार की शक्ति भूता, सनातनी देवी, गुणों का आधार तथा सर्वगुणमयी हो। नारायणि! तुम्हें नमस्कार है।

    9. रक्षा का मंत्र— शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके। घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि: स्वनेन च।।

    अर्थातः देवी! आप शूल से हमारी रक्षा करें। अम्बिके! आप खड्ग से भी हमारी रक्षा करें तथा घण्टा की ध्वनि और धनुष की टंकार से भी हमलोगों की रक्षा करें।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '