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Navratri 2022 Day 9: संध्या काल में करें माता सिद्धिदात्री की विशेष आरती और इस स्तोत्र का जाप

Navratri 2022 Day 9 शारदीय नवरात्र के नवमी तिथि के दिन माता सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन हवन और आरती बहुत महत्व है। माता सिद्धिदात्री की पूजा से सभी कष्ट मिट जाते हैं।

By Shantanoo MishraEdited By: Published: Tue, 04 Oct 2022 11:02 AM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 11:02 AM (IST)
Navratri 2022 Day 9: संध्या काल में करें माता सिद्धिदात्री की विशेष आरती और इस स्तोत्र का जाप
Navratri 2022 Day 9: महानवमी पर्व के दिन जरूर करें माता सिद्धिदात्री की आरती।

नई दिल्ली, Navratri 2022 Day 9: आज देशभर में माता सिद्धिदात्री को स्म्पर्पित महानवमी पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज के दिन मां दुर्गा के अंतिम सिद्ध स्वरूप की विधि-विधान से उपासना की जाती है। मान्यता है कि माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है और उन्हें धन, विद्या, ऐश्वर्य व सुख-समृद्धि की प्राप्ती होती है। शास्त्रों में माता को प्रसन्न करने के लिए कई मंत्र वर्णित किए गए हैं, लेकिन संध्या पूजा के बाद माता सिद्धिदात्री की आरती करना सबसे फलदाई माना जाता है। विधिवत आरती से मां जल्दी प्रसन्न होती हैं और सदैव अपनी कृपा भक्तों पर बनाए रखती हैं। आइए पढ़ते हैं-

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माता सिद्धिदात्री आरती (Mata Siddhidatri Aarti)

जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।

तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।

जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।

तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।

तू सब काज उसके करती है पूरे।

कभी काम उसके रहे ना अधूरे।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।

रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।

जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।

भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।

जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।

तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।

इन मंत्रों का भी करें उच्चारण (Mata Siddhidatri Mantra)

* वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्।।

* या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम।।

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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