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Durga Maa Mantra: नवरात्रि पर मां दुर्गा को इन मंत्रों से करें प्रसन्न, पूरे मन से करें जाप

Durga Maa Mantra आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। आज के दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो इनकी पूजा करते हैं वो हमेशा उज्जवलता और ऐश्वर्य का सुख भोगते हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 12:08 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 12:08 PM (IST)
Durga Maa Mantra: नवरात्रि पर मां दुर्गा को इन मंत्रों से करें प्रसन्न, पूरे मन से करें जाप
Durga Maa Mantra: नवरात्रि पर मां दुर्गा को इन मंत्रों से करें प्रसन्न, पूरे मन से करें जाप

Durga Maa Mantra: आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। आज के दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो इनकी पूजा करते हैं वो हमेशा उज्जवलता और ऐश्वर्य का सुख भोगते हैं। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा पूरे मन और श्रद्धा के साथ की जाती है। इस दौरान पूजा करते समय अगर भक्त मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें तो व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है। यह अत्यंत कल्याणकारी होता है। इस लेख में हम आपको 4 मंत्रों की जानकारी दे रहे हैं इनका उच्चारण करने से व्यक्ति का जीवन भय और बाधारहित हो जाता है। साथ ही व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति भी होती है। साथ ही इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है। मंत्रों का जाप करते समय व्यक्ति को इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि इनका उच्चारण ठीक तरह से किया जाए। तो आइए पढ़ते हैं दुर्गा मां के मंत्र।

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दुर्गा मां के इन मंत्रों का करें जाप:

1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

3. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

4. नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' का जाप अधिक से अधिक अवश्‍य करें।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '  


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