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    Navratri 2020 Maa Chandraghanta Puja: तीसरे दिन शक्ति के रूप मां चंद्रघंटा की इन मंत्रों के साथ करें पूजा और आरती

    Navratri 2020 Maa Chandraghanta Puja आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। आज के दिन दुर्गा मां के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन मां की उपासना की जाती है। मान्यता है कि अगर मां चंद्रघंटा की पूजा की जाए तो...

    By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Mon, 19 Oct 2020 12:53 PM (IST)
    Navratri 2020 Maa Chandraghanta Puja: तीसरे दिन इस तरह करें मां चंद्रघंटा की पूजा, पढ़ें मंत्र और आरती

    Navratri 2020 Maa Chandraghanta Puja: आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। आज के दिन दुर्गा मां के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन मां की उपासना की जाती है। मान्यता है कि अगर मां चंद्रघंटा की पूजा की जाए तो उनकी कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। साथ ही दिव्य सुगंधियों का अनुभव भी होता है। दुर्गा मां का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र मौजूद है। यही कारण है कि मां के इस स्वरूप को चंद्रघंटा कहा जाता है। मां के 10 हाथ हैं। मां का वाहन सिंह है। आइए जानते हैं कि कैसे करें मां की पूजा... पढ़ें मंत्र और आरती।

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    इस तरह करें मां चंद्रघंटा की पूजा:

    नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करनी चाहिए। मां को लाल रंग के पुष्प चढ़ाएं। मां को लाल सेब चढ़ाएं। जब आप मां को भोग चढ़ाएं और मंत्रों का जाप करें तो घंटी जरूर बजाएं। मां चंद्रघंटा को दूध अर्पित करें और दूध से बनी चीजों का ही भोग लगाएं। अपनी सामर्थ्य के अनुसार इसी का दान भी करें। मां चंद्रघंटा को मखाने की खीर का भोग लगाएं। इससे मां बेहद खुश हो जाती हैं। भक्तों के दुखों का नाश होता है।

    मां चंद्रघंटा के मंत्र:

    पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।

    प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

    ध्यान मंत्र:

    वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।

    सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥

    मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।

    खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥

    पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

    मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥

    प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्।

    कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

    स्तोत्र पाठ:

    आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।

    अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥

    चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्।

    धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥

    नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्।

    सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥

    मां चंद्रघंटा की आरती:

    नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।

    मस्तक पर है अर्ध चन्द्र, मंद मंद मुस्कान॥

    दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।

    घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण॥

    सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके सवर्ण शरीर।

    करती विपदा शान्ति हरे भक्त की पीर॥

    मधुर वाणी को बोल कर सब को देती ग्यान।

    जितने देवी देवता सभी करें सम्मान॥

    अपने शांत सवभाव से सबका करती ध्यान।

    भव सागर में फसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण॥

    नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।

    जय माँ चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा॥