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    Navratri 2020 Maa Kushmanda Puja: आज है नवरात्रि का चौथा दिन, मां कूष्माण्डा की ऐसे करें पूजा, जानें मंत्र और पढ़ें आरती

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Tue, 20 Oct 2020 10:56 AM (IST)

    Navratri 2020 Maa Kushmanda Puja शारदीय नवरात्रि का आज चौथा दिन है। आज मां दुर्गा के कूष्माण्डा स्वरुप की पूजा विधि विधान से होती है। आज के दिन उनके मंत्रों के जाप तथा आरती से देवी की कृपा प्राप्त हो सकती है।

    Navratri 2020 Maa Kushmanda Puja: नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की इस तरह करें पूजा, पढ़ें आरती और मंत्र

    Navratri 2020 Maa Kushmanda Puja: शारदीय नवरात्रि का आज चौथा दिन है। आज के दिन मां दुर्गा के कूष्माण्डा स्वरुप की पूजा की जाती है। इस दिन साधक का मन अनाहत चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन मां कूष्माण्डा की पूजा करने से व्यक्ति पर मां की कृपा-दृष्टि बनी रहती है। मान्यता है कि जब इस सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब इन्हीं ने ब्रह्मांड की रचना की थी। यह सृष्टि की आदि-स्वरूपा हैं। मां कुष्माण्डा के शरीर में कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान है। इनके प्रकाश से ही दसों दिशाएं उज्जवलित हैं। इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा मौजूद हैं। वहीं, आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों की जपमाला सुसज्जित है। मां कूष्माण्डा का वाहन सिंह है।

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    इस तरह करें मां कूष्माण्डा की पूजा:

    इस दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर मां कूष्माण्डा का स्मरण करें। मां को धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सुहाग का सामान चढ़ाएं। मां को हलवे और दही का भोग अर्पित करें। इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। अंत में मां के मंत्र और आरती गाएं।

    मां कूष्माण्डा के मंत्र:

    1. या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

    2. वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्

    सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

    3. दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्

    जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

    4. जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्

    चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

    मां कूष्माण्डा की आरती:

    चौथा जब नवरात्र हो, कूष्मांडा को ध्याते।

    जिसने रचा ब्रह्मांड यह, पूजन है

    आद्य शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप।

    इस शक्ति के तेज से कहीं छांव कहीं धूप॥

    कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार।

    पेठे से भी रीझती सात्विक करें विचार॥

    क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार।

    उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार॥

    सूर्य चंद्र की रोशनी यह जग में फैलाए।

    शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए॥

    नवरात्रों की मां कृपा कर दो मां

    नवरात्रों की मां कृपा करदो मां॥

    जय मां कूष्मांडा मैया।

    जय मां कूष्मांडा मैया॥