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    Navratri 2019 Significance of Mahalaya: महालया के दिन दुर्गा प्रतिमा को करते हैं चक्षु दान, भगवान राम से भी है जुड़ा है प्रसंग

    By kartikey.tiwariEdited By:
    Updated: Thu, 26 Sep 2019 03:30 PM (IST)

    Navratri 2019 Significance of Mahalaya दुर्गा पूजा के दौरान महालया का विशेष महत्व है। महालया पितृ पक्ष की समाप्ति और देवी पक्ष के प्रारंभ का समय होता है।

    Navratri 2019 Significance of Mahalaya: महालया के दिन दुर्गा प्रतिमा को करते हैं चक्षु दान, भगवान राम से भी है जुड़ा है प्रसंग

    Navratri 2019 Significance of Mahalaya: दुर्गा पूजा के दौरान महालया का विशेष महत्व है। महालया पितृ पक्ष की समाप्ति और देवी पक्ष के प्रारंभ का समय होता है। ऐसी मान्यता है कि महालया के दिन ही माता दुर्गा को कैलाश छोड़कर अपने पुत्रों गणेश और कार्तिकेय के साथ अपने पिहर या पृथ्वी लोक की यात्रा प्रारंभ करने के लिए निमंत्रण दिया जाता है। इस दिन मंत्रों के जाप और भजन तथा गीतों से मां दुर्गा को निमंत्रण दिया जाता है। महालया बंगालियों के लिए विशेष दिन है।

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    दुर्गा प्रतिमाओं को करते हैं चक्षु दान

    नवरात्रि में दुर्गा पूजा के दौरान जगह-जगह दुर्गा प्रतिमाएं बनाई जाती हैं। महालया के दिन ही मां दुर्गा की उन प्रतिमाओं को चक्षु दान किया जाता है यानी दुर्गा प्रतिमाओं के नेत्र बनाए जाते हैं।

    महालया को देवी दुर्गा ने किया था असुरों का नाश

    महालया से जुड़ी एक और मान्यता है। महालया वह समय काल है, जिसमें मां दुर्गा ने असुरों का सर्वनाश किया था। बंगाली इस दिन को बहुत महत्व देते हैं और आज भी बंगाल के कई हिस्सों में इसे धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन मां दुर्गा के पराक्रम से जुड़े नाटक किए जाते हैं, जिसमें वे असुरों का वध करती हैं।

    महालया को श्रीराम ने किया था दुर्गा पूजन

    पौराणिक कथाओं के अनुसार, लंका का राजा रावण जब माता सीता का हरण कर लिया था, तब हनुमान जी ने माता सीता का पता लगाया था। इसके बाद माता सीता को बचाने और लंका पर चढ़ाई से पूर्व भगवान श्रीराम ने महालया के दिन ही देवी दुर्गा की आराधना की थी।

    पितरों को याद करने का भी दिन है महालया

    महालया के दिन अपने पूर्वजों को याद भी किया जाता है। इस दिन पितरों को तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। पितरों को तर्पण किसी नदी या सरोवर के तट पर दिया जाता है। तर्पण का कार्य सुबह सूर्योदय से प्रारंभ होता है और दोपहर तक चलता है।