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    Narsimha Jayanti 2022: नरसिंह जयंती कब? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

    By Shivani SinghEdited By:
    Updated: Tue, 10 May 2022 11:17 AM (IST)

    Narsimha Jayanti 2022 Date हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर धर्म की स्थापना की थी। इस दिन भगवान नरसिंह की ​विधिपूर्वक पूजा करते हैं।

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    Narsimha Jayanti 2022: नरसिंह जयंती की तिथि, मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

    नई दिल्ली, Narsimha Jayanti 2022: प्रतिवर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। इस साल 14 मई को नरसिंह जयंती मनाई जा रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना और अपने परम भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का अवतार लिया था और अत्याचारी हिरण्यकश्यप का वध किया था। जानिए नरसिंह जयंती की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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    नरसिंह जयंती 2022 की तिथि और मुहूर्त

    चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 14 मई 2022, शनिवार दोपहर 3 बजकर 23 मिनट तक

    चतुर्दशी तिथि समाप्त: 15 मई 2022, रविवार दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक

    मध्याह्न संकल्प का शुभ समय: सुबह 10 बजकर 57 मिनट से दोपहर 01 बजकर 40 मिनट तक

    सायंकाल पूजा समय: शाम 04 बजकर 22 मिनट से 07 बजकर 05 मिनट तक

    शाम की पूजा का समय पूजा करने के पीछे एक कारण है। इसके अनुसार भगवान विष्णु ने असुर राज हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए दिन के ढलने और शाम के प्रारंभ के मध्य का समय चुना था। इस समय में ही उन्होंने नरसिंह अवतार लिया था।

    नरसिंह जयंती का धार्मिक महत्व

    नरसिंह जयंती का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि आज के दिन पूजा करने से व्यक्ति के समस्त दुखों का निवारण होता है और जीवन अच्छे से सुख-समृद्धि के साथ बीतता है।

    नरसिंह जयंती 2022 की पूजा विधि

    इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर साथ-सुतरा वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद श्री हरि के अवतार नरसिंह भगवान की तस्वीर या फिर मूर्ति एक चौकी में पीला कपड़ा बिछाकर स्थापित कर दें। जलाभिषेक करने के साथ फूल, माला, चंदन, अक्षत आदि चढ़ा दें। इसके बाद नारियल, केसर, फलों और मिठाई का भोग लगा दें। अंत में घी का दीपक और धूप जलाकर भगवान का ध्यान करें। इसके साथ ही सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन सूर्योदय तक बिना अन्न खाएं व्रत रखें।

    Pic Credit- instagram/theastrologic

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'