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    Guruvar Vrat Katha: गुरुवार के दिन पूजा के समय जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 27 Jul 2023 10:01 AM (IST)

    Guruvar Vrat Katha विवाहित स्त्रियां और अविवाहित लड़कियां गुरुवार का व्रत करती हैं। इस व्रत को करने से विवाहित स्त्रियां को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। नवविवाहित स्त्रियों को संतान की प्राप्ति होती है। वहीं अविवाहित युवतियों की शीघ्र शादी हो जाती है। साथ ही कुंडली में गुरु मजबूत होता है। कुंडली में गुरु मजबूत होने से जातक को करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है।

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    Guruvar Vrat Katha: गुरुवार के दिन पूजा के समय जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Guruvar Vrat Katha: सनातन धर्म में गुरुवार का दिन चराचर के संचालक भगवान विष्णु और देवताओं के गुरु बृहस्पति को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही गुरुवार का व्रत रखा जाता है। विवाहित स्त्रियां और अविवाहित लड़कियां गुरुवार का व्रत करती हैं। इस व्रत को करने से विवाहित स्त्रियां को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। नवविवाहित स्त्रियों को संतान की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहित युवतियों की शीघ्र शादी हो जाती है। साथ ही कुंडली में गुरु मजबूत होता है। कुंडली में गुरु मजबूत होने से जातक को करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। अगर आप भी गुरुवार का व्रत करती हैं, तो पूजा के समय ये व्रत कथा अवश्य पढ़ें या सुनें।

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    व्रत कथा

    प्राचीन समय की बात है। किसी नगर में एक साहूकार रहता था। साहूकार के पास किसी चीज की कमी नहीं थी। हालांकि, साहूकार की धर्म पत्नी कृपण थी। वह दान-पुण्य में विश्वास नहीं करती थी। साहूकार की धर्म पत्नी का मानना था कि धन दान-पुण्य के लिए नहीं, बल्कि भोग के लिए होता है। एक दिन साहूकार के घर भिक्षा हेतु एक सन्यासी आए। उन्होंने भिक्षा देने की याचना की। साहूकार की पत्नी ने भिक्षा देने से मना कर दिया। उस समय साधु ने भिक्षा न देने का औचित्य जानना चाहा। तब साहूकार की पत्नी बोली- ऐसे धन का ना होना चाहिए, जो दूसरों के काम आए। इस तरह के धन संचय का क्या लाभ है? अगर आप सच में सिद्ध साधु हैं, तो धन नष्ट होने के उपाय बताएं। पति के परोपकार से परेशान हो गई हूं।

    उस समय साधु ने कहा- बेटी, तुम गुरुवार के दिन तामसिक भोजन करना, बाल और वस्त्र धोना, रसाई बनाकर खाना चूल्हे के पीछे रखना। साथ ही गुरुवार के दिन पीले चीजों का सेवन न करना, पीले वस्त्र भी न पहनना और गुरुवार के दिन बाल-नाखून काटना। इन उपायों को करने से पति के परोपकार से तुम्हें मुक्ति मिल जाएगी। साहूकार की पत्नी ने साधु के वचनों का पालन किया। समय के साथ साहूकार अमीर से गरीब हो गया। साहूकार के घर में खाने के लाले पड़ गए। कुछ महीनों के पश्चात पुनः वही साधु दोपहर के समय में साहूकार के घर भिक्षा हेतु आए। साधु को देख साहूकार की पत्नी रोने लगी। तब साधु ने साहूकार की पत्नी से रोने का कारण पूछा।

    साहूकार की धर्म पत्नी बोली- सब कुछ लूट गया, मैं तो बर्बाद हो गई। घर में कुछ नहीं बचा। अब तो आपको क्या दूँ, स्वयं के खाने के लिए गृह में अन्न नहीं है। यह जान साधु ने कहा-बेटी, तुम गुरुवार का व्रत विधिवत करो। जगत के पालनहार भगवान विष्णु सबका उद्धार करते हैं। तुम्हारा भी उद्धार करेंगे। साधु के वचनानुसार, साहूकार की पत्नी ने गुरुवार का व्रत किया। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साहूकार पुनः धनवान बन गया।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।