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    Mokshada Ekadashi 2023: मोक्षदा एकादशी पर जरूर करें इस कथा का पाठ, प्राप्त होगा व्रत का पूर्ण फल

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Thu, 21 Dec 2023 09:53 AM (IST)

    Mokshada Ekadashi 2023 Vrat हिंदू धर्म में एकादशी तिथि प्रभु श्री हरि को समर्पित मानी जाती है। साधक इस विशेष तिथि पर व्रत आदि भी रखते हैं। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी भी कहते हैं। एकादशी का व्रत बिना कथा के अधूरा माना जाता है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा।

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    Mokshada Ekadashi Vrat Katha मोक्षदा एकादशी पर जरूर करें इस कथा का पाठ।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mokshada Ekadashi 2023 Vrat Katha: सनातन धर्म में मोक्षदा एकादशी का व्रत विशेष महत्व रखता है। पंचांग के अनुसार, वर्ष 2023 में मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजा-अर्चना करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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    मोक्षदा एकादशी व्रत कथा (Mokshada Ekadashi Vrat Katha)

    कथा के अनुसार प्राचीन काल में वैखानस नाम के एक राजा का गोकुल पर राज्य किया करते थे। एक रात उन्होंने सपना देखा कि मृत्यु के बाद उनके पिता को नरक की यातनाएं झेलनी पड़ रही हैं। अपने पिता की ऐसी स्थिति देखकर राजा को बहुत ही दुख हुआ। सुबह होते ही उन्होंने अपने राजपुरोहित को बुलवाया और उनसे कहा कि आप मुझे मेरे पिता की मुक्ति का मार्ग बतलाइए।

    इस पर राज पुरोहित ने कहा कि इस समस्या का निवारण केवल पर्वत नाम के महात्मा ही कर सकते हैं, जो एक त्रिकालदर्शी हैं। यह सुनते ही राजा पर्वत महात्मा के आश्रम पहुंचे और उनसे अपने पिता की मुक्ति का मार्ग पूछने लगे। इस पर महात्मा ने उन्हें बताया कि उनके पिता ने अपने पिछले जन्म में एक पाप किया था, जिस कारण उन्हें नर्क भोगना पड़ रहा है।

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    ये बताया मुक्ति का मार्ग

    राजा ने महात्मा से इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा। इस पर महात्मा बोले कि तुम मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली मोक्षदा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत और पूजन करो। इस एकादशी के प्रभाव से तुम्हारे पिता को मुक्ति मिल सकती है। राजा ने महात्मा के कहे अनुसार ही विधि-विधान पूर्वक मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजन किया। इस व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को मुक्ति मिल गई। साथ ही राजा को अपने पिता का आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ।

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