Mokshada Ekadashi 2022: मोक्षदा एकादशी आज,जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
Mokshada Ekadashi 2022 Date हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। अगहन मास में पड़ने वाली मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानिए मोक्षदा एकादशी की तिथि शुभ मुहूर्त और महत्व
नई दिल्ली, Mokshada Ekadashi 2022: मार्गशीर्ष मास में कई व्रत-त्यौहार मनाए जाते हैं। इन सभी में से एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत दो दिन रखा जा रहा है। एक दिन गृहस्थ लोग और दूसरे दिन वैष्णव समुदाय के लोग व्रत रखेंगे। जानिए मोक्षदा एकादशी व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
मोक्षदा एकादशी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त (Mokshada Ekadashi 2022 Date And Shubh Muhurat)
मोक्षदा एकादशी तिथि प्रारम्भ - 2 दिसम्बर 2022 को रात 5 बजकर 39 मिनट से शुरू
मोक्षदा एकादशी तिथि समाप्त - 3 दिसम्बर 2022 को रात 5 बजकर 34 मिनट तक
पारण का (व्रत तोड़ने का) समय - 4 दिसंबर 13:14 से 15:19 तक
वैष्णव मोक्षदा एकादशी- 4 दिसम्बर 2022, रविवार
वैष्णव एकादशी के लिए पारण का समय - 5 दिसंबर सुबह 06:59 से 09:04 तक
मोक्षदा एकादशी 2022 का महत्व
मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था। इसी कारण इसे गीता जयंती भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और व्रत रखने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही देवी-देवता और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। मोक्षदा एकादशी के दिन गीता को पढ़ना या सुनाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति की हर मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
मोक्षदा एकादशी 2022 पूजा विधि
- एकादशी पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लेँ।
- इसके बाद भगवान विष्णु का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- अब श्री हरि विष्णु की पूजा आरंभ करें। इसके लिए एक लकड़ी की चौकी में पीले रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर दें।
- सबसे पहले थोड़ा सा गंगाजल छिड़के। इसके बाद पीले चंदन का तिलक लगाएं।
- विष्णु जी को फूल, माला, नैवेद्य, भोग के साथ तुलसी दल अर्पित करें।
- अब घी का दीपक जलाने के साथ धूप जलाएं।
- अब एकादशी की कथा पढ़ने के साथ विष्णु जी के मंत्र और चालीसा का पाठ करें।
- अंत में विधिवत आरती करने के साथ भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
- दिनभर बिना अन्न ग्रहण किए व्रत रखें।
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