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Mohini Ekadashi 2024: संध्या आरती के समय जरूर करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, चमक उठेगा सोया हुआ भाग्य

इस व्रत के पुण्य-प्रताप से जातक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। एकादशी व्रत करने से साधक को मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस उपलक्ष्य पर मंदिरों में भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जा रही है। साधक घरों पर भी अपने आराध्य जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-उपासना कर रहे हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Sun, 19 May 2024 01:33 PM (IST)Updated: Sun, 19 May 2024 01:33 PM (IST)
Mohini Ekadashi 2024: संध्या आरती के समय जरूर करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mohini Ekadashi 2024: वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी देश भर में धूमधाम से मनाई जा रही है। इस उपलक्ष्य पर मंदिरों में भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जा रही है। साधक घरों पर भी अपने आराध्य जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-उपासना कर रहे हैं। इस व्रत के पुण्य फल से साधक के जन्म-जन्मांतर में किए गए समस्त पाप धूल जाते हैं। साथ ही आने वाली बलाएं भी टल जाती हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु को प्रसन्न कर उनकी कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो संध्या आरती के समय इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

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तुलसी स्तोत्रम्‌

जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे ।

यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः ॥

नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे ।

नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥

तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा ।

कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम् ॥

नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम् ।

यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात् ॥

तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम् ।

या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः ॥

नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाञ्जलिं कलौ ।

कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे ॥

तुलस्या नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले ।

यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः ॥

तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ ।

आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके ॥

तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः ।

अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन् ॥

नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे ।

पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके ॥

इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता ।

विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः ॥

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी ।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमनःप्रिया ॥

लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला ।

षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयन्नरः ॥

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत् ।

तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया ॥

तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।

नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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