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    Mauni Amavasya 2024: मौनी अमावस्या पर करें शिव जी की यह आरती, हर बाधा होगी दूर

    हर महीने में पितरों को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या मनाई जाती है। यह तिथि भगवान शिव पितरों और विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिए खास मानी जाती है। पंचांग के अनुसार इस बार मौनी अमावस्या आज यानी 29 जनवरी (Mauni Amavasya 2025) को मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर महादेव की उपासना करने से घर में सुख-शांति का आगमन होता है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 29 Jan 2025 07:30 AM (IST)
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    Somvati Amavasya 2024: मौनी अमावस्या पर महादेव को ऐसे करें प्रसन्न

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माघ के महीने में कई पर्व मनाए जाते हैं। इनमें मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025) भी शामिल है। इस दिन पितरों तर्पण और पिंडदान किया जाता है। साथ ही पूजा महादेव की पूजा के दौरान आरती जरूर करनी चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन शिव जी की आरती करने से सभी दोष दूर होते हैं और पितृ देव प्रसन्न होते हैं। साथ ही जीवन की हर बाधा दूर होती है।

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    ।।शिव जी की आरती।।

    जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

    ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

    एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

    हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

    दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

    त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

    अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

    चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

    श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

    सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

    कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

    जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

    प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

    यह भी पढ़ें: Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर कब और कैसे करें स्नान? नोट करें विधि और शुभ मुहूर्त

    काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

    नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

    त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

    कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

    ॥ श्री गंगा मैया आरती ॥

    नमामि गंगे ! तव पाद पंकजम्,

    सुरासुरैः वंदित दिव्य रूपम् ।

    भक्तिम् मुक्तिं च ददासि नित्यं,

    भावानुसारेण सदा नराणाम् ॥

    हर हर गंगे, जय माँ गंगे,

    हर हर गंगे, जय माँ गंगे ॥

    ॐ जय गंगे माता,

    श्री जय गंगे माता ।

    जो नर तुमको ध्याता,

    मनवांछित फल पाता ॥

    चंद्र सी जोत तुम्हारी,

    जल निर्मल आता ।

    शरण पडें जो तेरी,

    सो नर तर जाता ॥

    ॥ ॐ जय गंगे माता..॥

    पुत्र सगर के तारे,

    सब जग को ज्ञाता ।

    कृपा दृष्टि तुम्हारी,

    त्रिभुवन सुख दाता ॥

    ॥ ॐ जय गंगे माता..॥

    एक ही बार जो तेरी,

    शारणागति आता ।

    यम की त्रास मिटा कर,

    परमगति पाता ॥

    ॥ ॐ जय गंगे माता..॥

    आरती मात तुम्हारी,

    जो जन नित्य गाता ।

    दास वही सहज में,

    मुक्त्ति को पाता ॥

    ॥ ॐ जय गंगे माता..॥

    ॐ जय गंगे माता,

    श्री जय गंगे माता ।

    जो नर तुमको ध्याता,

    मनवांछित फल पाता ॥

    ॐ जय गंगे माता,

    श्री जय गंगे माता ।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।