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Mauni Amavasya 2019: आज है सोमवती अमावस्या से अद्भुत संयोग

मौनी व सोमवती अमावस्या आज ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय से जाने  कैसे करे पूजन व व्रत आैर पूजन करने से  क्या मिलता है फल।

By Molly SethEdited By: Published: Mon, 04 Feb 2019 10:02 AM (IST)Updated: Mon, 04 Feb 2019 10:02 AM (IST)
Mauni Amavasya 2019: आज है सोमवती अमावस्या से अद्भुत संयोग
Mauni Amavasya 2019: आज है सोमवती अमावस्या से अद्भुत संयोग

बढ़ गया है महत्व

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मौनी अमावस्या माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है । धर्म शास्त्रानुसार इस अमावस्या के दिन यदि सोमवार दिन मिल जाये तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है । इस बार सोमवार का दिन होना, आैर श्रवण नक्षत्र,व सिद्धि योग मिल रहा है अतः इस बार की अमावस्या  विशेष फलदायी हो रही है। इस दिन मौन रहकर गंगा आदि नदियों का स्नान करना चाहिए । सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या भी कहते हैं। इस अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व  है। सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु होने की कामना से व्रत व पूजन करना चाहिए।

विशेष है पूजन

इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्त्र गोदान का फल मिलता है। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है। अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष। इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की जड़ में  दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा और वृक्ष के चारों ओर, ॐ नमो नारायणाय मंत्र से 108 बार पीला या श्वेत धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान है।  इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है। कहा जाता है की महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था की इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा। ऐसा भी माना जाता है की गंगा स्नान करने से पितरों की आत्माओं को शान्ति मिलती है। सोमवती अमावस्या को दूध की खीर बनाकर ,पितरों को अर्पित करने से भी पितृ दोष में कमी होती है, या फिर प्रत्येक अमावस्या को एक ब्राह्मण को भोजन कराने व दक्षिणा वस्त्र भेंट करने से पितृ दोष कम होता है। पीपल और बरगद के वृ्क्ष की पूजा करने से पितृ दोष की शान्ति होती है।

पीपल की करें पूजा

सोमवती अमावस्या पर स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षा और आयु की वृद्धि के लिए पीपल की पूजा करती हैं। पीपल के वृक्ष को स्पर्श करने मात्र से पापों का क्षय हो जाता है और परिक्रमा करने से आयु बढ़ती है और व्यक्ति मानसिक तनाव से मुक्त हो जाता है। अमावस्या के पर्व पर अपने पितरों के निमित्त पीपल का वृक्ष लगाने से सुख-सौभाग्य,सन्तान पुत्र,धन की प्राप्ति होती है और पारिवारिक क्लेश समाप्त हो जाते हैं व समस्त मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।


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