Masik Shivratri 2023: मासिक शिवरात्रि के दिन बन रहे हैं दो अत्यंत शुभ योग, जानिए पूजा का समय और पूजा विधि
Masik Shivratri 2023 ज्योतिष पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास में मासिक शिवरात्रि व्रत कल यानी 17 मई 2023 बुधवार के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर दो अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस अवधि में पूजा-पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।

नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Masik Shivratri 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मासिक शिवरात्रि व्रत रखा जाएगा। मान्यता है कि इस विशेष दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से दांपत्य जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती है और जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। बता दें कि इस दिन बुध प्रदोष व्रत भी रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की मासिक शिवरात्रि के दिन दो अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें पूजा-पाठ करने से साधक को सौभाग्य एवं धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं, किस समय करें मासिक शिवरात्रि की पूजा?
मासिक शिवरात्रि 2023 शुभ योग (Masik Shivratri 2023 Puja Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर होगा और इसका समापन 18 अप्रैल दोपहर 01 बजकर 27 मिनट पर हो जाएगा। मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव की उपासना मध्य रात्रि में की जाती है, ऐसे में यह व्रत 17 मई 2023, बुधवार के दिन रखा जाएगा। पंचांग में बताया गया है कि इस विशेष दिन पर आयुष्मान योग और सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है। बता दें आयुष्मान योग रात्रि 11 बजकर 16 मिनट से 17 मई रात्रि 09 बजकर 18 मिनट तक रहेगा और सौभाग्य योग रात्रि 09 बजकर 18 मिनट से 18 मई शाम 07 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।
मासिक शिवरात्रि 2023 पूजा विधि (Masik Shivratri 2023 Puja Vidhi)
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मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान करें और भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना करें।
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पूजा के समय शिवलिंग पर गंगाजल, शहद, दूध, दही, घी और शक्कर से मिश्रित पंचामृत से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें। ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
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ऐसा करने के बाद भगवान शिव को अक्षत, चंदन, फूल, बेलपत्र इत्यादि अर्पित करें व धूप-दीप प्रज्वलित कर व्रत का संकल्प लें।
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इसके बाद शिव चालीसा, शिव पुराण व शिव स्तुति का पाठ अवश्य करें और अंत में आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
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