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    Masik Shivratri 2022: भगवान शिव के आशीर्वाद के लिए करें निशिता काल में पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और मंत्र

    Masik Shivratri 2022 हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। आज यानि मार्गशीर्ष मास के मासिक शिवरात्रि के दिन पूजा-पाठ करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है और उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं किस समय करें भगवान शिव और पार्वती की पूजा।

    By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Tue, 22 Nov 2022 01:24 PM (IST)
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    Masik Shivratri 2022: निशिता काल में करें भगवान शिव की पूजा।

    नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Masik Shivratri 2022: हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार आज यानि 22 नवम्बर 2022 के दिन मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि व्रत रखा जा रहा है। आज के दिन निशिता काल में भोलेनाथ की पूजा करने का विशेष लाभ मिलता है। बता दें कि मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी दुःख दूर कर देते हैं। साथ ही आज के दिन पूजा-पाठ करने से वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। आइए जानते हैं आज किस समय करें शिव-पार्वती की पूजा।

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    मासिक शिवरात्रि पूजा मुहूर्त (Masik Shivratri 2022 Puja Muhurat)

    हिन्दू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि के दिन दो अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। एक योग संध्या काल तक मान्य है और दूसरा योग अगली सुबह तक रहेगा। बता दें कि आज के सौभाग्य और शोभन योग का निर्माण हो रहा है। अपनी सुविधा के अनुसार भक्त किसी भी योग में पूजा-पाठ कर सकते हैं। आज शाम 06:38 बजे तक सौभाग्य योग है। इसलिए शाम के समय पूजा करने वाले भक्त इस समय तक पूजा सम्पन्न कर लें। लेकिन शिवरात्रि पूजा के लिए निशिता काल को बहुत शुभ माना जाता है। आज के दिन निशिता काल रात 11:41 से मध्यरात्रि 12:34 रक रहेगा। मान्यता है कि इस दौरान भोलेनाथ की उपासना करने से फल का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

    चार प्रहर में होती है भगवान शिव की पूजा (Shivratri Puja)

    शास्त्रों में बताया गया है कि शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा चार प्रहर में की जाती है। इसलिए प्रथम प्रहर यानि 6 से 9 बजे के बीच शिवलिंग का दूध से अभिषेक करें और 'ॐ नमः शिवाय' व 'ॐ ईशानाय नम:' मंत्र का जाप करें। दूसरा प्रहर रात 9 से 12 बजे तक रहता है। इस दौरान शिव जी को दही अर्पित करें और 'ॐ अघोराय नम:' मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद तीसरा प्रहर रात्रि 12 से 3 बजे के बीच रहता है। इस काल में भगवान का घी से अभिषेक करें और 'ॐ शर्वाय नम:' व 'ॐ वामदेवाय नमः' मंत्र का जाप करें। चौथे और अंतिम प्रहर की पूजा प्रात: 3 से 6 बजे की बीच की जाती है। इस दौरान भगवान शिव को शहद अर्पित करें और 'ॐ त्र्यम्बकाय नम:' व 'ॐ कपर्दिने नम:' मंत्र का जाप करें।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।