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    Masik Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर ऐसे करें भैरव देव को प्रसन्न, सभी प्रकार के भय से मिलेगी मुक्ति

    हर माह की कृष्ण पक्ष में आने वाली अष्टमी तिथि पर मासिक कालाष्टमी मनाई जाती है। यह दिन मुख्य रूप से कालभैरव की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना जाता है। काल भैरव देव असल में भगवान शिव का उग्र रूप हैं। ऐसे में यदि मासिक कालाष्टमी पर कालभैरव की विशेष पूजा-अर्चना की जाए तो इससे व्यक्ति को ग्रहों के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिल सकती है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sat, 22 Jun 2024 05:26 PM (IST)
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    Masik Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर ऐसे भैरव देव को प्रसन्न।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Kalashtami 2024: मासिक कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मनोकामना पूरी करती हैं। मुख्य रूप से इस तिथि पर तंत्र-मंत्र की साधना करने वाले उपासक, काल भैरव देव की पूजा करते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि मासिक कालाष्टमी के दिन किस प्रकार काल भैरव देव को प्रसन्न किया जा सकता है।

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    कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Masik Kalashtami 2024 Muhurat)

    आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 28 जून को दोपहर 04 बजकर 27 मिनट पर शुरू हो रही है। साथ ही इस तिथि का समापन 29 जून को दोपहर 02 बजकर 19 मिनट पर होगा। कालाष्टमी की पूजा निशिता मुहूर्त में की जाती है। ऐसे में 28 मई, 2024 शुक्रवार के दिन मासिक कालाष्टमी मनाई जाएगी।

    काल भैरव अष्टक

    देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।

    नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥

    भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।

    कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥

    शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।

    भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥

    भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।

    विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥

    धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।

    स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥

    रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।

    मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥

    अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।

    अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥

    भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।

    नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥

    ॥ फल श्रुति॥

    कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।

    शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥

    ॥इति कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम् ॥

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    करें इन मंत्रों का जाप

    • ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्। भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि
    • ऊं कालभैरवाय नम:
    • ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय। कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा
    • ओम भयहरणं च भैरव:
    • ‘ॐ ब्रह्म काल भैरवाय फट’

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।