Masik Durga Ashtami Vrat 2023: मासिक दुर्गाष्टमी पर इस विधि से करें पूजा, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी
Masik Durga Ashtami Vrat 2023 मां दुर्गा शिव की पत्नी आदिशक्ति का एक रूप हैं। जिन्हें हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान प्राप्त है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास में दो बार अष्टमी पड़ती है लेकिन शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली अष्टमी के दिन ही मासिक दुर्गाष्टमी अष्टमी का व्रत रखा जाता हैं। इस व्रत को करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Masik Durga Ashtami Vrat 2023: मां दुर्गा अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करती हैं। इसलिए लोग सच्चे दिल से मां की पूजा-अर्चना करते हैं ताकि उनके संकट दूर हो सकें। हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान दुर्गा अष्टमी का उपवास किया जाता है। इस वर्ष सावन मास की दुर्गाष्टमी का व्रत 24 अगस्त 2023, बृहस्पतिवार के दिन किया जाएगा। आइए जानते हैं इस की पूजा विधि।
मासिक दुर्गाष्टमी तिथि
मासिक दुर्गाष्टमी तिथि का प्रारम्भ 24 अगस्त सुबह 03 बजकर 31 मिनट पर होगा। वहीं इसका समापन 25 अगस्त सुबह 03 बजकर 10 मिनट पर होगा। ऐसे में मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत 24 अगस्त, बृहस्पतिवार के दिन किया जाएगा।
मासिक दुर्गाष्टमी का महत्व
ऐसा माना जाता है कि मासिक दुर्गाष्टमी के दिन देवी दुर्गा की उपासना करने से जातक के पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। साथ ही उसे मनोवांछित फल की भी प्राप्ति होती है और जीवन में चल रही समस्याओं का समाधान मिलता है। माता दुर्गा अपने भक्तों को सुरक्षा प्रदान करती हैं। साथ ही विधि-विधान के साथ मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा करने से करियर में उन्नति, धन में समृद्धि और जीवन में सफलता मिलती है।
मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद लाल वस्त्र धारण करने चाहिए। पूरे घर को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें। इसके बाद चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। इसके बाद देवी मां को जल अर्पित करें और उन्हें लाल चुनरी और सोलह श्रृंगार, लाल रंग का पुष्प,पुष्पमाला और अक्षत आदि अर्पित करें।
देवी दुर्गा की मूर्ति को प्रसाद चढ़ाएं और दुर्गा मूर्ति को चरणामृत भी अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक और अगरबत्ती जलाकर मां दुर्गा चालीसा का पाठ करके विधि-विधान के साथ मां की आरती करें। बाद में प्रसाद या नैवेद्य दूसरों को देकर अपना व्रत समाप्त करें और शाम के समय गेहूं और गुड़ से बनी वस्तुओं से अपना व्रत खोलें।
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।