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    Margashirsha Purnima 2022: मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर ऐसे करें भगवान सत्यनारायण की पूजा, होगी सौभाग्य की प्राप्ति

    By Shivani SinghEdited By:
    Updated: Wed, 07 Dec 2022 09:32 AM (IST)

    Margashirsha Purnima 2022 सत्यनारायण व्रत पूर्णिमा के दिन करने का विशेष महत्व है। क्योंकि ये दिन सत्यनारायण का सबसे प्रिय दिन है। इसके साथ ही इस दिन चंद्रमा पूर्ण होता है। जानिए सत्यनारायण पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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    Margashirsha Purnima 2022: मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर ऐसे करें भगवान सत्यनारायण की पूजा, होगी सौभाग्य की प्राप्ति

    नई दिल्ली, Margashirsha Purnima 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इसे अगहन पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने के साथ मां लक्ष्मी और भगवान सत्यनारायण की पूजा करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही आज सत्यनारायण की कथा सुनना भी शुभ होता है। जानिए सत्यनारायण की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि।

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    सत्यनारायण व्रत पूर्णिमा के दिन करने का विशेष महत्व है। क्योंकि ये दिन सत्यनारायण का सबसे प्रिय दिन है। इसके साथ ही इस दिन चंद्रमा पूर्ण होता है। सत्यनारायण कथा का महत्व स्कंद पुराण में बताया गया है। नैमिषारण्य तीर्थ में सुखदेव मुनियों ने इस व्रत के बारे में ऋषियों को बताया था। उनके अनुसार जो व्यक्ति सत्यनारायण कथा कराना है वह जीवन की हर समस्या से निजात पा लेते हैं। इसके साथ ही सुख-सौभाग्य, आरोग्य, धन वैभव की प्राप्ति होती है।

    मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2022 शुभ मुहूर्त

    मार्गशीर्ष पूर्णिमा: 07 दिसंबर 2022

    पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 07 दिसंबर 2022 को सुबह 08:01 बजे से शुरू

    पूर्णिमा तिथि समाप्त: 08 दिसंबर 2022 को सुबह 09 बजकर 37 मिनट तक

    ऐसे करें भगवान सत्यनारायण की पूजा

    • आज के दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साथ सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
    • अब पूर्व दिशा की ओर आसन में बैठकर पूजा आरंभ करें।
    • एक चौकी में पीले रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु या सत्यनारायण भगवान की मूर्ति या तस्वीर रखें।
    • भगवान को जल अर्पित करने के साथ फूल, माला, मोली, रोली, पीला चंदन, अक्षत आदि चढ़ाएं।
    • अब पंचगव्य., सुपारी, दूर्वा आदि भी चढ़ा दें। इसके साथ ही भोग में पंचामृत के साथ अन्य मिठाई चढ़ाएं।
    • जल देने के साथ घी का दीपक और धूप जलाकर मंत्र आदि का पाठ कर लें।
    • मंत्र- ऊँ श्री सत्यनारायण नम:
    • अब सत्यनारायण की पौराणिक कथा पढ़ लें।
    • अंत में आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
    • दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को किसी पंडित से सत्यनारायण की कथा करा लें।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।