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    Margashirsha Month 2025: मार्गशीर्ष माह में रोजाना करें इस चालीसा का पाठ, खुल जाएंगे सुख-समृद्धि के द्वार

    Updated: Tue, 11 Nov 2025 08:35 PM (IST)

    मार्गशीर्ष माह, जिसे अगहन भी कहते हैं, भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस साल मार्गशीर्ष माह की शुरुआत 6 नवंबर से हुई थी। भगवान श्रीकृष्ण के साथ-साथ इस माह में तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में आप इस माह में रोजाना तुलसी चालीसा का पाठ कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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    Margashirsha Month 2025 (AI Generated Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मार्गशीर्ष के महीने (Margashirsha Month) में देवी तुलसी की पूजा-अर्चना करना अत्यंत फलदायी माना गया है। इससे साधक को सुख-समृद्धि और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त मिलती है। ऐसे में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए आप रोजाना इस माह में तुलसी के समक्ष घी का दीपक जलाएं और तुलसी चालीसा का पाठ करें।

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    तुलसी चालीसा (Tulsi Chalisa)

    श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।

    जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।

    नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।

    दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।

    विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।

    भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।

    जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।

    करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।

    कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।

    तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।

    कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।

    वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।

    श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।

    कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।

    छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।

    तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।

    औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,

    देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।

    वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।

    नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।

    नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।

    नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।

    नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।

    Shree Krishna

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।

    नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।

    जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।

    निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।

    करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।

    शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।

    क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।

    मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।

    जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।

    Tulsi Puja i (3)

    (Picture Credit: Freepik) 

    बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।

    प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।

    चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।

    करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।

    पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।

    यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।

    करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।

    है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।

    तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।

    भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।

    यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।

    गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।