Mandir Puja Rules: मंदिर में किस देवता की कितनी परिक्रमा करना है शुभ, जानिए इसके नियम
Mandir Puja Rules हर धर्म में धार्मिक स्थलों का एक विशेष महत्व होता है। ठीक उसी प्रकार हिंदू धर्म में रोजाना मंदिर जाने और पूजा करने के अनगिनत लाभ बताए गए हैं। रोज मंदिर जाने से व्यक्ति के अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां जाकर भगवान का आशीर्वाद तो प्राप्त होता ही है। साथ ही व्यक्ति को मानसिक शांति भी मिलती है।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Mandir Puja Rules: शास्त्रों में मंदिर में पूजा करने के कुछ विशेष नियम भी बताए गए हैं। ऐसा ही एक नियम है परिक्रमा का नियम। शास्त्रों में पूजा के बाद परिक्रमा करने का विशेष महत्व बताया गया है। आइए जातने हैं कि किसी देवी-देवता की कितनी परिक्रमा करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मंदिर में परिक्रमा का महत्व
सनातन धर्म के वैदिक ग्रंथ- ऋग्वेद में पिरक्रमा का वर्णन मिलता है। परिक्रमा पूजा का महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। मान्यता है कि भगवान की परिक्रमा करने से पापों का नाश होता है। मंदिर मे परिक्रमा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
परिक्रमा करने के नियम
मंदिर में परिक्रमा हमेशा घड़ी की सुई की दिशा में करनी चाहिए। अर्थात हमेशा भगवान के दाएं हाथ की तरफ से परिक्रमा शुरू करें। शास्त्रों में परिक्रमा करते समय मंत्र बोलने का भी विधान है। इससे आपको परिक्रमा करने का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च।
तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।
अर्थ- इस मंत्र का अर्थ है कि जाने अनजाने में किए गए और पूर्वजन्मों के भी सभी पाप प्रदक्षिणा या परिक्रमा के साथ-साथ नष्ट हो जाए। भगावन मुझे सद्बुद्धि अर्थात अच्छी बुद्धि (जिससे अच्छे-बुरे का ज्ञान हो सके) प्रदान करें।
किस देवता की कितनी परिक्रमा करें
गणेश भगवान की चार परिक्रमा, विष्णुजी की पांच, देवी दुर्गा की एक, सूर्य देव की सात, और भगवान भोलेनाथ की आधी परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। शिव की मात्र आधी ही परिक्रमा की जाती है, क्योंकि मान्यताओं के अनुसार, जलधारी का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। इसलिए जलधारी तक पंहुचकर परिक्रमा को पूर्ण मान लिया जाता है।
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