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    Mahalaxmi Vrat 2023: महालक्ष्मी व्रत से प्रसन्न होंगी धन की देवी लक्ष्मी, इस खास स्तोत्र का करें पाठ

    By Jagran NewsEdited By: Suman Saini
    Updated: Tue, 03 Oct 2023 05:10 PM (IST)

    Mahalaxmi Vrat 2023 इस साल मां लक्ष्मी शेर नहीं बल्कि हाथी पर विराजमान होकर आ रही हैं। कहा जाता है जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है माता लक्ष्मी उसके घर को सुख-समृद्धि से भर देती हैं। साथ ही मां अपने भक्तों पर सदैव कृपा बनाएं रखती हैं। तो चलिए जानते हैं कि माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कौन-से स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

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    Mahalaxmi Vrat 2023 महालक्ष्मी व्रत पर करें इस स्तोत्र का पाठ।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Mahalaxmi Vrat 2023: 16 दिनों तक चलने वाला महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद माह में रखा जाता है। इस व्रत की शुरुआत 22 सितंबर से हो चुकी है साथ ही इसका समापन 06 अक्टूबर 2023 को होगा। यह व्रत मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। ऐसे में महालक्ष्मी व्रत के दौरान महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से विशेष महत्व मिलता है। 

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    महालक्ष्मी पूजा विधि

    महालक्ष्मी (Goddess Lakshmi) के लिए सबसे पहले स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें। ऐसा कहा जाता है कि माता रानी को गुलाबी और लाल रंग अति प्रिय है। ऐसे में आपको मां की पूजा में इन रंगो का प्रयोग जरूर करना चाहिए।

    एक चौकी लें उसपर लाल वस्त्र बिछाएं। इसके बाद हाथी पर विराजमान महालक्ष्मी की स्थापना करें। साथ ही मां की पूरे विधि विधान के साथ पूजा करें। इस पूजन में 16 की संख्या का खास महत्व है। ऐसे में आप मां के प्रसाद आदि में 16 संख्या का प्रयोग कर सकते हैं। अंत में मां के स्तोत्र और आरती का पाठ करें।

    महालक्ष्मी स्तोत्र

    नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।

    शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।

    सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।

    सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।

    मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।

    योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।

    महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।

    परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।

    जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।

    सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।

    एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।

    द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।

    त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।

    महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।

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    Writer -  Vaishnavi Dwivedi 

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'