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    Mahalaxmi Stuti: महानंदा नवमी की पूजा करते समय महालक्ष्मी स्तु‍ति का अवश्य करें पाठ

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Wed, 23 Dec 2020 06:30 AM (IST)

    Mahalaxmi Stuti हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को पूजा जाता है। वह विष्णु जी की पत्नी हैं। ये त्रिदेवियों में से एक है। मान्यता है कि जिस पर मां लक्ष्मी का अनुग्रह उतरता है वह दरिद्र दुर्बल कृपण असंतुष्ट एवं पिछड़ेपन से मुक्त हो जाता है।

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    Mahalaxmi Stuti: महानंदा नवमी की पूजा करते समय महालक्ष्मी स्तु‍ति का अवश्य करें पाठ

    Mahalaxmi Stuti: हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को पूजा जाता है। वह विष्णु जी की पत्नी हैं। ये त्रिदेवियों में से एक है। इन्हें धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि की देवी माना जाता है। मान्यता है कि जिस पर मां लक्ष्मी का अनुग्रह उतरता है वह दरिद्र, दुर्बल, कृपण, असंतुष्ट एवं पिछड़ेपन से मुक्त हो जाता है। लक्ष्मी शब्द का अर्थ प्रचलन में संपत्ति से जोड़ा जाता है। लेकिन वस्तुतः वह चेतना का एक गुण है। इसके आधार पर निरुपयोगी वस्तुओं को भी उपयोगी बनाया जा सकता है।

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    आज महानंदा नवमी है। आज के दिन महालक्ष्मी की पूजी की जाती है। मां की पूजा करते समय भक्त उनकी आरती और चालीसा का पाठ तो करते ही हैं। अगर इस दौरान महालक्ष्मी की स्तुति का पाठ भी किया जाए तो व्यक्ति को मां लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो आइए पढ़ते हैं महालक्ष्मी की स्तुति।

    महालक्ष्मी स्तु‍ति:

    आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।

    यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।1।।

    सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।

    पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।2।।

    विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।

    विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।3।।

    धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।

    धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।4।।

    धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।

    धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।5।।

    मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।

    प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।6।।

    गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।

    अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।7।।

    धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।

    वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।8।।

    जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।

    जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।9।।

    भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।

    भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।10।।

    कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।

    कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।11।।

    आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।

    आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।12।।

    सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।

    सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।13।।

    सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।

    रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।14।।

    साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।

    मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।15।।

    मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।

    मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।।16।।

    सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

    शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।17।।

    शुभं भवतु कल्याणी आयुरारोग्य सम्पदाम्।