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    Maa Katyayani Puja: Navratri 2021आज षष्ठी तिथि में करें मां कात्यायनी की पूजा, जानें पूजा विधि और मंत्र

    By Jeetesh KumarEdited By:
    Updated: Mon, 11 Oct 2021 01:42 PM (IST)

    Maa Katyayani Puja मां दुर्गा के छठे रूप को कात्यायनी माता कहा जाता है। नवरात्रि के छठें दिन या षष्ठी के दिन मां कात्यायनी के पूजन का विधान है। आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजन विधि और मंत्र....

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    Navratri 2021 षष्ठी तिथि में करें मां कात्यायनी की पूजा, जानें पूजा विधि और मंत्र

    Maa Katyayani Puja: मां दुर्गा के छठे रूप को कात्यायनी माता कहा जाता है। नवरात्रि के छठें दिन या षष्ठी के दिन मां कात्यायनी के पूजन का विधान है। इस साल षष्ठी की तिथि आज 11 अक्टूबर को पड़ रही है। कात्यायन ऋषि की पुत्री होने के कारण मां को कात्यायनी कहा गया है। पौराणिक कथा के अनुसार कात्यायनी माता ने ही महिषासुर और शुंभ-निशुंभ जैसे आतातायी राक्षसों का वध किया था। देवी कात्यायानी की पूजा शत्रु संहार की शक्ति प्राप्त होती है, साथ ही मां संतान प्राप्ति का भी वरदान प्रदान करती हैं। आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजन विधि और मंत्र....

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    मां कात्यायनी की पूजा विधि

    मां कात्यायनी की पूजा नवरात्रि की षष्ठी तिथि को होती है। इस दिन प्रातः काल में स्नान आदि से निवृत्त होकर मां की प्रतिमा की स्थापना करें। सबसे पहले मां का गंगा जल से आचमन करें। इसके बाद मां को रोली,अक्षत से अर्पित कर धूप, दीप से पूजन करें। मां कात्यायानी को गुड़हल या लाल रंग का फूल चढ़ाना चाहिए तथा मां को चुनरी और श्रृगांर का सामान अर्पित करें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती, कवच और दुर्गा चलीसा का पाठ करना चाहिए। इसके साथ ही मां कात्यायनी के मंत्रों का जाप कर, पूजन के अंत में मां की आरती की जाती है। मां कात्यायनी को पूजन में शहद को भोग जरूर लगाएं। ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं।

    मां कात्यायनी के मंत्र

    मां कात्यायनी के मंत्रो का जाप लाल चंदन की माला या फिर रुद्राक्ष की माला से करें। जाप करने के बाद माला को गले में धारण कर लें। शीघ्र ही आपकी इच्छा पूरी होगी।

    1. ॐ कात्यायिनी देव्ये नमः।

    2. या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

    3. कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी।

    नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

    4. चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना।

    कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि।।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'