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    Lord Vishnu Puja: गुरुवार के दिन इस स्तुति का करें पाठ, श्रीहरि की कृपा से कष्ट होंगे दूर

    By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik Sharma
    Updated: Thu, 08 Feb 2024 07:00 AM (IST)

    गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को प्रिय है। भगवान श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए यह दिन बेहद शुभ माना गया है। मान्यता के अनुसार गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा के दौरान विष्णु स्तुति का पाठ करने से सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। इससे साधक पर श्रीहरि कृपा सदैव बनी रहती है। साथ ही इंसान के कष्ट दूर होते हैं।

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    Lord Vishnu Puja: विष्णु चालीसा का पाठ का फलदायी है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Guruwar Mantra: गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-व्रत करने का विधान है। क्योंकि गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को प्रिय है। श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए यह दिन बेहद शुभ माना गया है। मान्यता के अनुसार, गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा के दौरान विष्णु स्तुति का पाठ करने से सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। इससे साधक पर श्रीहरि की कृपा सदैव बनी रहती है। इसके अलावा विष्णु जी प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के सभी कष्ट हर लेते हैं। विष्णु स्तुति का पाठ इस प्रकार है-

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    विष्णु स्तुति

    शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

    विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम्।

    लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं

    वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्।।

    यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।

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    सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।

    ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

    यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:।।

    1. गुरुवार के मंत्र

    ॐ सर्वज्ञा सर्व देवता सवरूप अवतारा,

    सत्य धर्म शांति प्रेमा स्वरूप अवतारा,

    सत्यम शिवम् सुन्दरम स्वरुप अवतारा,

    अनंत अनुपम ब्रह्म स्वरूप अवतारा,

    ॐ परमानंद श्री शिरडी नाथाय नमः

    2.दन्ताभये चक्र दरो दधानं,

    कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया

    लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

    3.ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।

    यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।

    4.ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।

    बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।

    5.ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:॥

    ॐ गुं गुरवे नम:॥

    ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:॥

    ॐ ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नमः

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