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    Lord Vishnu: इस आरती के बिना अधूरी है भगवान विष्णु की पूजा, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

    Updated: Thu, 23 May 2024 06:30 AM (IST)

    धार्मिक मान्यता है कि श्री हरि की पूजा करने और विशेष चीजों का भोग लगाने से प्रभु की कृपा से जातक को सुख-शांति की प्राप्ति होती है और आय में वृद्धि होती है। गुरुवार व्रत के पुण्य-प्रताप से सौभाग्य में वृद्धि होती है। पूजा के दौरान भगवान विष्णु की आरती जरूर करनी चाहिए। इससे जातक को श्री हरि का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

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    Lord Vishnu: इस आरती के बिना अधूरी है भगवान विष्णु की पूजा, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lord Vishnu Aarti Lyrics: सनातन धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी न देवी-देवता को समर्पित है। गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि श्री हरि की पूजा करने और विशेष चीजों का भोग लगाने से प्रभु की कृपा से जातक को सुख-शांति की प्राप्ति होती है और आय में वृद्धि होती है। गुरुवार व्रत के पुण्य-प्रताप से सौभाग्य में वृद्धि होती है। पूजा के दौरान भगवान विष्णु की आरती जरूर करनी चाहिए। इससे शुभ फल की प्राप्ति होगी और सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। आइए पढ़ते हैं भगवान विष्णु की आरती।

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    भगवान विष्णु जी की आरती

    ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।

    भगवान विष्णु की आरती

    भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

    स्वामी दुःख विनसे मन का।

    सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।

    स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।

    तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

    स्वामी तुम अन्तर्यामी।

    पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

    स्वामी तुम पालन-कर्ता।

    मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

    स्वामी सबके प्राणपति।

    किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

    स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

    अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

    स्वमी पाप हरो देवा।

    श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

    स्वामी जो कोई नर गावे।

    कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।