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    Kumbh Sankranti 2023: आज है कुंभ संक्रांति, शुभ मुहूर्त में करें भगवान सूर्य की उपासना

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Mon, 13 Feb 2023 11:34 AM (IST)

    Kumbh Sankranti 2023 सूर्य देव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है। 13 फरवरी को सूर्य देव मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। आइए जानते हैं कुंभ संक्रांति की तिथि और पूजा विधि।

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    Kumbh Sankranti 2023: कुंभ संक्रांति के दिन पर इस मुहूर्त में करें पूजा-पाठ।

    नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Kumbh Sankranti 2023: प्रत्येक ग्रह एक अवधि के बाद राशि परिवर्तन करते हैं। लेकिन जब सूर्य देव गोचर करते हैं तो उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है। सूर्य गोचर से सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ता है। हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानि 13 फरवरी 2022, सोमवार (Kumbh Sankranti Date 2023) के दिन सूर्य देव मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश कर रहे हैं। जिस वजह से इसे कुंभ संक्रांति के नाम से जाना जाएगा। मान्यता है कि कुंभ संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की उपासना सभी दुःख दूर हो जाते हैं हुए भक्तों को आरोग्यता, आत्मविश्वास और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए शुभ मुहूर्त और पुण्यकाल के समय का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। आइए जानते हैं कुंभ संक्रांति का शुभ समय और पूजा विधि।

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    कुंभ संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त (Kumbh Sankranti 2023 Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार कुंभ संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 31 मिनट से सुबह 05 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इस दिन पुण्यकाल सुबह 07 बजकर 08 मिनट से सुबह 09 बजकर 57 मिनट तक रहेगा और महापुण्यकाल सुबह 08 बजकर 02 मिनट से सुबह 09 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। माना जाता है इस अवधि में स्नान-दान और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

    कुंभ संक्रांति पूजा विधि (Kumbh Sankranti 2023 Puja Vidhi)

    शास्त्रों में बताया गया है कि कुंभ संक्रांति के गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इसलिए इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करना चाहिए। ऐसा यदि संभव नहीं है तो घर पर ही पानी में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद एक शुद्ध लौटे में गंगाजल, तिल, अक्षत और पुष्प मिलाकार सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करें। ऐसा करने के बाद आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें और सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें। इस दिन दान का भी विशेष महत्त्व है। इसलिए ब्राह्मण, जरूरतमंद और गरीबों को सामर्थ्य अनुसर अन्न, धन या वस्त्र का दान आवश्यक करें।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।