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    Kua Pujan Vidhi: बच्चे के जन्म के बाद क्यों किया जाता है कुआं पूजन, जानिए विधि और महत्व

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Thu, 02 Nov 2023 01:16 PM (IST)

    Kua Pujan हिंदू धर्म में कुआं पूजन की परंपरा का विशेष महत्व होता है। कुआं पूजन पुत्र प्राप्ति पर किया जाता है। साथ ही यह ग्रह-नक्षत्रों को शांति के लिए भी किया जाता है। खासतौर से मूल नक्षत्रों में जन्मे बच्चों के लिए यह पूजा जरूरी मानी गई है। कई स्थानों पर इसे जल पूजा या जलवा पूजा भी कहा जाता है।

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    Kua Pujan जानिए कुआं पूजन का महत्व।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Kua Pujan Niyam: कुआं पूजन की परंपरा को नवजात शिशु और मां दोनों के कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना गया है। साथ ही यह भी माना गया है कि इस परंपरा की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से हुई थी जुड़ी हुई है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता यशोदा ने कृष्ण जी के जन्म के ग्यारहवें दिन जलवा पूजा की थी यानी जल अर्थात कुआं पूजा किया था। तभी ये परंपरा चली आ रही है।

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    कब किया जा सकता है कुआं पूजन

    रिक्ता तिथि यानी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी को छोड़कर, अन्य किसी भी तिथि पर कुआं पूजन संस्कार किया जा सकता है। वहीं, कुआं पूजा के लिए सोमवार, बुधवार और गुरुवार का दिन अच्छा माना गया है।

    साथ ही चैत्र और पौष चंद्र महीनों को छोड़कर, सभी चंद्र महीने कुआं पूजा अनुष्ठानों किया जा सकता है। मृगशीर्ष, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, अनुराधा, मूल और श्रवण नक्षत्र भी कुआं पूजन संस्कार के लिए अच्छे माने जाते हैं। हिंदू धर्म में शादी-विवाह संस्कारों में भी बच्चे का कुआं पूजन किया जाता है।

    कुआं पूजन विधि (Kua Pujan vidhi)

    कुआं पूजन के अवसर पर कृष्ण मंदिरों में पूजा-अर्चना की जाती है और भगवान कृष्ण की मूर्ति को सूप में रखकर शोभा यात्रा निकाली जाती है। कुआं पूजन के दिन सबसे पहले बच्चे और मां को गुनगुने पानी से स्नान कराएं और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं। इसके बाद बच्चे की मां या घर की बड़ी महिला माथे पर एक खाली कलश और चाकू रखकर आसपास के कुएं तक यात्रा की जाती है।

    साथ ही अन्य महिलाएं मंगल गीत गाते हुए कुआं के पास पहुंचती हैं। इस दौरान कुएं के पास या कुएं के ऊपर आटे और कुमकुम से स्वास्तिक बनाया जाता है। इसके बाद भोग लगाकर कुएं की पूजा की जाती है। यदि आपके आसपास कुआं नहीं है तो ऐसे में कुआं पूजन की रस्म बड़े घड़े, नदी, पानी की टंकी या नल पर भी की जा सकती है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'