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    Gupt Navratri 2022 Day 3: गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन इस प्रकार करें मां चंद्रघंटा की पूजा-उपासना

    By Pravin KumarEdited By:
    Updated: Thu, 03 Feb 2022 08:46 AM (IST)

    Gupt Navratri 2022 Day 3 धार्मिक मान्यता है कि मां की पूजा और उपासना करने से साधक को आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है। साथ ही यश कीर्ति और सम्मान भी प्राप्त होता है। अतः नवरात्रि में मां की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

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    Gupt Navratri 2022 Day 3: गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन इस प्रकार करें मां चंद्रघंटा की पूजा-उपासना

    Gupt Navratri 2022 Day 3: आज गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन है। आज के दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चन्द्रघंटा की पूजा-उपासना की जाती है। मां का रूप अलौकिक और अतुल्य है, जो ममता की प्रतिमूर्ति है। मां अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण की है। अतः मां दुर्गा के तीसरे रूप को चंद्रघंटा कहा जाता है। मां की सवारी सिंह है और मां की दस भुजाएं अस्त्र-शस्त्र से विभूषित है। इस दिन साधक का चित 'मणिपूर' चक्र में अवस्थ्ति रहता है। अतः साधकों को विह्गंम चीज़ों का अवलोकन होता है। साथ ही दिव्य ध्वनियां भी कर्णपटल पर गूंजती रहती हैं। धार्मिक मान्यता है कि मां की पूजा और उपासना करने से साधक को आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है। साथ ही यश, कीर्ति और सम्मान भी प्राप्त होता है। अतः नवरात्रि में मां की पूजा अवश्य करनी चाहिए। आइए, पूजा विधि और मंत्र जानते हैं-

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    पूजा विधि

    इस दिन नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। अब लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद, आमचन कर व्रत संकल्प लकर पूजा की शुरुआत करें। साधक सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। फिर पूजा गृह में चौकी पर माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अब मां की स्तुति और आह्वान निम्न मंत्र से करें।

    मां चन्द्रघंटा का आह्वान मंत्र

    पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता |

    प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ||

    पूजा मंत्र

    या देवी सर्वभू‍तेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

    ॐ देवी चन्द्रघंटाय नमः॥

    इसके बाद मां को श्रृंगार और लाल चुनरी भेंट करें। अब मां चंद्रघंटा की पूजा फल, फूल, दूर्वा, सिंदूर, अक्षत, धूप, दीप, अगरबत्ती आदि से करें। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि मां को हलवा और दही अति प्रिय है। अतः प्रसाद में मां को फल, हलवा एवं दही अवश्य अर्पित करें। तत्पश्चात, आरती कर परिवार के कुशल-मंगल की कामना करें। दिन भर उपवास रखें और शाम में आरती कर फलाहार करें।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'