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    Surya Mantras: जानें किन मंत्रों से दूर करें अपनी कुण्डली के सूर्य संबंधी दोष

    By Jeetesh KumarEdited By:
    Updated: Sun, 27 Jun 2021 06:37 AM (IST)

    Surya Mantras हिंदू धर्म और ज्योतिष में भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है।भारतीय ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों का सम्राट माना गया है। अगर आपकी कुण्डली में सूर्य ग्रह संबंधी कोई दोष है तो इन उपयों और मंत्रों से भगवान सूर्य की उपासना करनी चाहिए।

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    जानें किन मंत्रों से दूर करें अपनी कुण्डली के सूर्य संबंधी दोष

    Surya Mantras: भारतीय ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों का सम्राट माना गया है। सूर्य सम्पूर्ण जगत का गतिदाता और शक्ति का केंद्र है। संसार की काल गणना का आधार होने के कारण सूर्य को काल पुरूष की संज्ञा भी दी जाती है। हिंदू धर्म और ज्योतिष में सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान कृष्ण के पुत्र सांब को सूर्य पूजा से ही कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली थी। रविवार का दिन भगवान सूर्य की पूजा के लिए विशेष रूप से समर्पित है। अगर आपकी कुण्डली में सूर्य संबंधी कोई दोष है, तो इन उपयों और मंत्रों से भगवान सूर्य की उपासना करनी चाहिए। आपकी कुण्डली से सूर्य संबंधी दोष दूर होंगे और भगवान सूर्य की असीम कृपा भी प्राप्त होगी।

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    सूर्य उपासना का सरल उपाय

    भगवान सूर्य की पूजा का सबसे सरल उपाय है, हर रोज सुबह स्नान करके उगते सूर्य को जल चढ़ाना। इससे न केवल आपकी कुण्डली में स्थापित सूर्य संबंधी दोष दूर होंगे, बल्कि आपको आरोग्य की भी प्राप्ति होगी। भगवान सूर्य को तांबा धातु और लाल रंग विशेष रूप से प्रिय है, इसलिए सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाना चाहिए। जल में लाल फूल या केसर डाल कर चढ़ाना अधिक प्रभावकारी माना जाता है।

    भगवान सूर्य के प्रभावशाली मंत्र

    ज्योतिषशास्त्र में सूर्य ग्रह का संबंध नेत्र, कान, हृदय, अस्थि रोगों तथा शिक्षा,ज्ञान एवं माता-पिता के रिश्ते से संबंधित है। अगर आपके जीवन में इनमें से संबंधित कोई समस्या हो , तो आपको सूर्य देव के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। सूर्य उपासना के लिए रविवार या संक्रांति का दिन अत्याधिक शुभ माना जाता है। रविवार के दिन 108 बार जाप करने से सूर्य दोष से मुक्ति मिलती है। इन मंत्रों का उच्चारण सही और सटीक होना चाहिए।

    1. ॐ सूर्याय नम: ।

    2. ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:

    3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

    4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।

    5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'