Move to Jagran APP

Raksha Sutra : पूजा में क्यों होता है रक्षा सूत्र का उपयोग? जानें धारण करने का नियम और महत्व

Raksha Sutra रक्षा सूत्र को हम मौली बोलते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ सबसे ऊपर होता है। इसे कलाई में बांधने की वजह से कलावा नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार इसका वैदिक नाम मणिबंध है। यज्ञ के बाद इसे कलाई में धारण किया जाता है।

By Ritesh SirajEdited By: Published: Thu, 15 Jul 2021 03:02 PM (IST)Updated: Thu, 15 Jul 2021 03:02 PM (IST)
Raksha Sutra : पूजा में क्यों होता है रक्षा सूत्र का उपयोग? जानें धारण करने का नियम और महत्व
पूजा में क्यों होता है रक्षा सूत्र का उपयोग? जानें धारण करने का नियम और महत्व

Raksha Sutra : हम बचपन से देखते आ रहे हैं कि पूजा के अनुष्ठान या धार्मिक कार्य के दौरान हाथों में रक्षा सूत्र बांधा जाता है। रक्षा सूत्र को हम मौली बोलते हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ  'सबसे ऊपर' होता है। इसे कलाई में बांधने की वजह से 'कलावा' नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार, इसका वैदिक नाम मणिबंध है। सनातन पंरपरा के अनुसार, यज्ञ के बाद इसे कलाई में धारण किया जाता है। रक्षा सूत्र धारण करने के कई सारे नियम हैं। आइये जानते हैं इसे धारण करने का महत्व और इससे जुड़ी कथा के बारे में।

loksabha election banner

रक्षा सूत्र धारण करने का नियम

रक्षा सूत्र पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में धारण करना चाहिए।

विवाहित महिलाओं को रक्षा सूत्र बाएं हाथ में धारण करना चाहिए।

नये रक्षा सूत्र धारण करने के बाद पुराने को पीपल के पेड़ के नीचे रखना चाहिए। 

रक्षा सूत्र को कलाई में धारण करते वक्त पांच से सात बार घुमाना चाहिए। 

जिस कलाई में रक्षा सूत्र धारण कर रहे हों, उसकी मुठ्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए।

रक्षा सूत्र में त्रिदेव और त्रिदेवियां

रक्षा सूत्र कच्चे धागे से बनाया जाता है। इसमें तीन रंग लाल, पीला और हरा का प्रयोग किया जाता है। इन तीनों रंग को त्रिदेव और त्रिदेवियों से जोड़ कर देखा जाता है। इसे धारण करने से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश तथा तीन देवियां लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती की कृपा दृष्टि बनी रहती है।

रक्षा सूत्र मंत्र

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

रक्षा सूत्र बांधते वक्त इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है, जिससे हमारे सभी कष्टों का निवारण होता है। 

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.