Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Nag Panchami 2021: जानें शेषनाग ने क्यों किया अपनी माता का विरोध?

    By Ritesh SirajEdited By:
    Updated: Fri, 13 Aug 2021 08:00 AM (IST)

    Nag Panchami Aur Shesh Nag इस दिन शिव को बेहद प्रिय नागों की पूजा होती है। जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति को कालसर्प दोष से छुटकारा मिलता है। इन्हीं नाग ...और पढ़ें

    Hero Image
    Nag Panchami 2021: जानें शेषनाग ने क्यों किया अपनी माता का विरोध?

    Nag Panchami 2021 : पंचांग के अनुसार सावन मास चल रहा है। इस मास में हिंदू धर्म के कई पावन पर्व पड़ते हैं। जिसमें एक नाग पंचमी है, जो सावन मास के शुक्ल पक्ष की पचंमी तिथि को पड़ती है। इस दिन शिव को बेहद प्रिय नागों की पूजा होती है। जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति को कालसर्प दोष से छुटकारा मिलता है। इन्हीं नागों में एक नाग शेषनाग भी हैं, जो भगवान विष्णु को बेहद पसंद हैं। शेषनाग ने पृथ्वी को अपने फन पर धारण करके पूरे लोक कल्याण का काम किया है। आइये इससे जुड़ी शेषनाग की पौराणिक कथा का विस्तार से वर्णन करते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शेषनाग की कथा

    महाभारत के अनुसार, महर्षि कश्यप की तेरह पत्नियां थीं। उन्हीं में से एक पत्नी कद्रू थी, जिनसे नाग वंश की उत्पत्ति हुई है। माता कद्रू के बेटों में सबसे पराक्रमी शेषनाग थे, जिन्हें अनंत नाम से भी जाना जाता है। एक बार शर्त जीतने के लिए माता कद्रू ने अपनी सौतन विनता के साथ  छल किया। इस छल में शेषनाग के भाई भी शामिल थे। इस बात से नाराज होकर वो अपनी माता और भाइयों को छोड़कर गंधमादन पर्वत चले गये। जहां पर उन्होंने कठिन तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न किया। वरदान देने आए ब्रह्मा जी से उन्होंने कहा कि मेरी बुद्धि धर्म, तपस्या और शांति में हमेशा बनी रहे।

    शेषनाग के इस निस्वार्थ भक्ति से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने कहा कि ये सारी पृथ्वी की वजह से पेड़-पौधे, सागर, नदियां और पहाड़ हिलती-डुलती रहती है। तुम्हें इसे धारण करो कि यह सब स्थिर हो जाए। ब्रह्माजी के आशीर्वाद को पाकर शेषनाग पृथ्वी के भीतर चले गए और पृथ्वी को अपने फन पर पर धारण कर लिया। भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग के आसन पर विराजित होते हैं।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'